ChatGPT जैसे जेनरेटिव AI पिछले दो साल से काफी चर्चा में है। जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फीचर की वजह से जहां एक तरफ यूजर्स के कई काम आसान हो गए हैं, वहीं दूसरी तरफ GenAI (जेनरेटिव एआई) मुसीबत बन गया है। सामने आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जेनरेटिव एआई की वजह से यूजर डेटा सुरक्षा में सेंध लगने की आशंका है। रिपोर्ट के मुताबिक, 27 प्रतिशत कंपनियों ने GenAI पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है।
निजी डेटा सुरक्षा बड़ी चुनौती
CISCO 2024 डेटा प्राइवेसी बेंचमार्क स्टडी में यह बात सामने आई है कि जेनरेटिव एआई की वजह से कंपनियों को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के उल्लंघन मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। 69 प्रतिशत कंपनियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। वहीं, 68 प्रतिशत कंपनियों ने माना कि जेनरेटिव एआई की वजह से कई निजी जानकारियां पब्लिक डोमेन में पहुंच सकती है और प्रतिद्वंदी कंपनियों के हाथ लग सकती है।
इस स्टडी में 48 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि वो जेनरेटिव एआई टूल का इस्तेमाल करना शुरू कर चुके हैं या शुरू करने वाले हैं। CISCO की इस स्टडी में भाग लेने वाले 90 प्रतिशत यूजर्स का कहना है कि जेनरेटिव एआई को डेटा प्राइवेसी में सेंध लगने से रोकने के लिए नई तकनीक सीखने की जरूरत है, ताकि यूजर्स का विश्वास बना रहे। 91 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि जेनरेटिव एआई को यूजर्स को विश्वास में लेने की जरूरत है, ताकि उनके निजी डेटा का दुरुपयोग न हो सके।
AI टूल बन सकता है मुसीबत
ChatGPT, Google Bard जैसे एआई टूल पर आप किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इन टूल के जरिए प्राप्त की गई जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हो सकती है, जो यूजर डेटा प्राइवेसी के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। ऐसे में जेनरेटिव एआई को इस्तेमाल करते समय यूजर्स को भी कई तरह की सावधानियां बरतने की जरूरत है। इस तरह के टूल बनाने वाली कंपनियों को यूजर्स को इन खतरों के बारे में बताना होगा। डिजिटल वर्ल्ड में यूजर की आइडेंटिटी चोरी होने का सबसे बड़ा खतरा है।
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