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DoT ने बढ़ाई Airtel और Vodafone Idea की टेंशन, मांगी ये अहम जानकारी

Department of Telecom (DoT) ने एयरटेल और वोडाफोन आइडिया से नॉन ट्रस्टेड सोर्सेज के नेटवर्क इक्विपमेंट्स की जानकारी मांगी है। दूरसंचार विभाग इन दोनों कंपनियों को इसके लिए कई रिमांडर्स भेज चुका है।

Department of Telecom (DoT)- India TV Hindi Image Source : FILE Department of Telecom (DoT)

Department of Telecom (DoT) ने एक प्रस्ताव जारी करते हुए टेलीकॉम ऑपरेटर्स Airtel और Vodafone Idea को टेंशन में डाल दिया है। दूरसंचार विभाग ने इन दोनों कंपनियों से नेटवर्क में इस्तेमाल किए जाने वाले 'नॉन-ट्रस्टेड सोर्सेज' की जानकारी मांगी है। DoT ने इसके लिए इन दोनों टेलीकॉम कंपनियों को कई रिमाइंडर्स भी भेजे हैं, लेकिन अब तक इन दोनों कंपनियों ने यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है।

मांगी ये अहम जानकारी

दूरसंचार विभाग इन खास तौर पर एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया से नेटवर्क सर्विस में इस्तेमाल किए जाने वाले चीनी कंपनियों Huawei और ZTE के इक्वीपमेंट्स की डिटेल्स मांगी हैं, क्योंकि इन दोनों कंपनियों में दूसरी कंपनियों का विलय या अधिग्रहण हुआ है, जिसके 'नॉन-ट्रस्टेड सोर्सेज' यानी गैर-भरोसेमंद स्त्रोत के इक्वीपमेंट्स की डिटेल्स उपलब्ध नहीं है। 

DoT ने साल की शुरुआत में टेलीकॉम ऑपरेटर्स को यह पता लगाने के लिए निर्देश जारी किया था कि उनके नेटवर्क इक्वीपमेंट्स में ऐसे कितने इक्विपमेंट्स हैं, जिन्हें हुआवे और ZTE जैसी नॉन ट्रस्टेड सोर्सेज से खरीदे गए हैं। टेलीकॉम ऑपरेटर्स से ऐसे नॉन-ट्रस्टेड सोर्सज के सॉफ्टवेयर की भी डिटेल भेजने के लिए कहा गया था। DoT के इस निर्देश का मकसद यह जानना था कि अगर उन्हें ट्रस्टेड सोर्सेज यानी भरोसेमंद स्त्रोत से खरीदा जाएगा तो कितना खर्च आएगा?

देश की सुरक्षा का सवाल

सरकार देश की सुरक्षा और संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए नॉन-ट्रस्टेड सोर्सेज यानी चीनी कंपनियों के इक्विमेंट नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं करना चाहती है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के एक अधिकारी ने बताया है कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने दूरसंचार विभाग को अभी तक यह रिपोर्ट नहीं सौंपी है। उन्हें कई बार रिमांइडर्स भेजा गया है, लेकिन अभी तक कोई जबाब नहीं आया है।

अमेरिका की तर्ज पर रिप एंड रिप्लेस प्रोग्राम

दूरसंचार विभाग द्वारा टेलीकॉम कंपनियों को यह प्रस्ताव 'रिप एंड रिप्लेस' प्रोग्राम की तरह है, जिसे अमेरिकी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर लागू किया है। सरकार ने इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों की आर्थिक मदद की थी। अमेरिका और यूके में नॉन-ट्रस्टेड सोर्सेज के इक्वीपमेंट्स को रिप्लेस करके ट्रस्टेड सोर्सेज के इक्वीपमेंट्स को लगाने पर जोर दिया गया है। भारत में भी दूरसंचार विभाग यही करना चाहता है, ताकि देश के करोड़ों टेलीकॉम यूजर्स का निजी डेटा किसी नॉन-ट्रस्टेड सोर्सेज खास तौर पर चीनी कंपनियों के पास नहीं पहुंचे।

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