नई दिल्ली: भारत में सेकंड हैंड कारों का बहुत बड़ा बाजार है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। देश में कई ऐसे लोग हैं जो कम बजट के चलते अपनी पहली कार के तौर पर सेकंड हैंड कार को ही तरजीह देते हैं। हालांकि कई बार ये सेकंड हैंड कारें मुसीबत का सबब बन जाती हैं पर कुछ सावधानियां बरतने पर कई समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। आइए, जानते हैं सेकंड हैंड कारें खरीदते समय किस प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए...
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सबसे पहली बात तो यही आती है कि सामने वाला बंदा अपनी कार बेचना क्यों चाहता है। यदि वह कहता है कि उसे कोई नया मॉडल लेना है या उसके पास एक और कार है और एक्सट्रा कार की जरूरत नहीं है फिर तो ठीक है। लेकिन यदि वह इधर-उधर की बातें करें तो सावधान हो जाएं, यह सौदा आपको महंगा पड़ सकता है।
कार की बॉडी और इंटीरियर को भी कायदे से जांच लेना चाहिए। इसमें कोई डेंट या खरोंच हो तो वैसे ही कार की कीमत काफी गिर जाती है। साथ ही यह जरूर पता कर लें कि कार कितने किलोमीटर चली है। 50,000 किलोमीटर से ज्यादा चली कार कई बार धोखा दे सकती है, हालांकि यह कोई मापदंड नहीं है। स्पीडोमीटर से छेड़छाड़ होने की दशा में इसका सही-सही पता नहीं लगाया जा सकता। लेकिन कार के गियर नॉब, स्टीयरिंग व्हील, क्लच और ब्रेक पैडल यदि ज्यादा घिसे नजर आएं तो समझ लें कार का भरपूर इस्तेमाल हुआ है।
आगे के पेज पर जानें और किन चीजों का ख्याल रखना जरूरी है...