नई दिल्ली: आज भले ही महंगे और हाईटेक मोबाइल फोन का चलन जोरों पर है लेकिन कमजोर सिग्नल पकड़ने के मामले दसक पुराने मोबाइल फोन के आगे ये कहीं नहीं टिकते। मोबाइल फोन की रेगुलेटरी बॉडी ऑफ़कॉम के एक अध्ययन के अनुसार आज के एप्पल और सैमसंग के स्मार्टफोन के मुकाबले दस साल पहले वाले मोबाइल फोन बहुत आसानी से कमजोर सिग्नल पकड़ लेते थे।
प्रयोगशाला में किए गए प्रयोग के नतीजों से पता चला है कि आधुनिक टैक्नॉलॉजी के बावजूद स्मार्ट फ़ोन कमजोर सिग्नल पकड़ने में नाकाम रहते हैं जबकि पुराने सस्ते फोन के साथ ये समस्या नहीं है। अध्ययन से पता चला कि पुराना मोबाइल फोन जहां आसानी से कमजोर सिग्नल पकड़ लेता है वहीं कुछ स्मार्टफोन को दस गुना ज्यादा शक्तिशाली सिग्नल की जरुरत पड़ती है।
औसतन टूजी नेटवर्क पर पुराने फोन के मुकाबले स्मार्टफोन को सात गुना ज़्यादा शक्तिशाली सिग्नल की जरुरत पड़ती है। इसी तरह 3जी नेटवर्क पर नौ गुना शक्तिशाली सिग्नल की जरुरत पड़ती है। 4जी नेटवर्क पर खराब से खराब स्मार्टफोन को डाटा भेजने के लिए सात गुना ज़्यादा शक्तिशाली नेटवर्क की जरुरत पड़ती है।
ऑफकॉम के अध्ययन से इस दावे को बल मिलता है कि स्मार्टफोन को इसलिए ज़्यादा शक्तिशाली सिग्नल की जरुरत पड़ती क्योंकि स्मार्टफोन में ग्लास और मैटल का इस्तेमाल किया जाता है जबकि सस्ते फोन में प्लास्टिक इस्तेमाल किया जाता है। ऑफकॉम ने ये बताने से इंकार कर दिया कि ये प्रयोग उसने किन स्मार्टफोन पर किया है।