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फेसबुक के सेफ्टी चेक फीचर पर क्यों लगे सवालिया निशान, जानिए

सैन फ्रांस्सिको: फेसबुक सेफ्टी चेक के पीछे दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक का उद्देश्य तो भलाई का ही था, पर कुछ लोगों ने इसकी निंदा करनी भी शुरू कर दी। इन लोगों का तर्क

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सैन फ्रांस्सिको: फेसबुक सेफ्टी चेक के पीछे दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक का उद्देश्य तो भलाई का ही था, पर कुछ लोगों ने इसकी निंदा करनी भी शुरू कर दी। इन लोगों का तर्क है कि मिडल-ईस्ट में हजारों लोग मारे गए, सीरिया और तुर्की में आतंकवादी हमले हुए बम ब्लास्ट हुए, तब फेसबुक ने ऐसी सर्विस शुरू क्यों नहीं की। इस तरह का फीचर तभी क्यों लाया गया, जब हमला फ्रांस में हुआ है।

निंदा के बाद फेसबुक ने कहा और हादसों के बाद भी लाएंगे सेफ्टी चेक

फेसबुक के फाउंडर और सीईओ मार्क जुकेरबर्ग ने दुनिया भर में हो रही निंदा के बाद अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि लोगों का कहना ठीक है कि हमने पेरिस हमलों के बाद सेफ्टी चेक को एक्टिवेट किया, पर बेरूत हमलों के वक्त ऐसा नहीं कर पाए। पेरिस पर आतंकवादी हमलों से पहले फेसबुक का नियम था कि केवल प्राकृतिक हादसों के वक्त ही इस फीचर को एक्टिवेट किया जाएगा, लेकिन अब से दुनिया में कहीं भी हों पेरिस जैसे हादसों के बाद भी सेफ्टी चेक फीचर को एक्टिवेट किया जाएगा।

पेरिस पर हुए आतंकी हमलों में 120 से ज़्यादा लोग मारे गए

दरअसल फेसबुक ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में आईएसआईएस के आतकंवादी हमलों में 120 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने के बाद एक खास चेक-इन फीचर शुरू की, जिसका उद्देश्य यह था कि अन्य स्थानों पर रहने वाले लोग पेरिस में रह रहे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की कुशलता के बारे में जान सकें।

क्या है फेसबुक सेफ्टी चेक पेज

फेसबुक सेफ्टी चेक पेज पर एक संदेश है इलाके में दोस्तों को जल्द ढूंढें और उनसे जुड़ें। इसमें आगे कहा गया है अगर आप ठीक हैं तो उसे ओके कर दीजिये। इस फीचर के जरिये लोग उन मित्रों का भी पता कर सकते हैं जिनकी पेरिस में रहने के चलते सूची बना दी गई है और यह जांच अभी तक नहीं की जा सकी है कि वे सुरक्षित हैं या नहीं।

तुर्की में भी आतंकी हमले में मारे गए थे करीब 100 लोग

तुर्की में अंकारा में हुए 2 बम ब्लास्ट में करीब 100 लोग मारे गए थे और सैक़ड़ों घायल हो गए थे। सारी दुनिया में उन हमलों की निंदा की गई थी। सोशल मीडिया पर अब कहा जा रहा है फेसबुक सेफ्टी चेक सर्विस तब भी शुरू की जा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।