वर्ल्ड मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय मुक्केबाजों का कमाल, कई मेडल किए पक्के
वर्ल्ड मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत की महिला बॉक्सरों के कमाल का प्रदर्शन जारी है।
महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी है। इस टूर्नामेंट में एक-एक कर खिलाड़ी भारत के लिए कई मेडल पक्का कर चुके हैं। इसी बीच दो और महिला बॉक्सरों ने भारत के लिए पदक पक्के कर दिए हैं।
भारत के कई मेडल हुए पक्के
राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियन नीतू गंघास (48 किलो) और अनुभवी स्वीटी बूरा (81 किग्रा) ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर भारत के लिए दो पदक पक्के कर दिए। हरियाणा की 22 साल की नीतू रिंग में उतरने वाली पहली भारतीय रहीं, उन्होंने दूसरे राउंड में आरएससी (रैफरी के द्वारा मुकाबला रोके जाना) के आधार पर जापान की माडोका वाडा को हराया। इस तरह उन्होंने अपने और भारत के लिए कम से कम एक कांस्य पदक पक्का किया।
स्वीटी ने भी किया शानदार प्रदर्शन
वहीं टूर्नामेंट में अपना पहला मुकाबला खेल रही स्वीटी ने अपनी शीर्ष वरीयता के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए 2018 कांस्य पदक विजेता बेलारूस की विक्टोरिया केबिकावा पर 5-0 से जीत हासिल कर विश्व चैंपियनशिप का अपना दूसरा पदक पक्का किया। उन्होंने 2014 में सिल्वर मेडल जीता था। साक्षी चौधरी (52 किग्रा) और पिछले चरण की कांस्य पदक विजेता मनीषा मौन (57 किग्रा) हालांकि अंतिम चार चरण तक पहुंचने में विफल रहीं। साक्षी को चीन की युवु से 0-5 से हारी जबकि मनीषा को फ्रांस की अमीना जिदानी से 1-4 से शिकस्त मिली। नीतू ने पूरी आक्रामकता के साथ खेलते हुए विरोधी पर जमकर घूंसे बरसाए।
रैफरी ने मुकाबला रोककर नीतू के पक्ष में फैसला दिया। नीतू ने तीनों मुकाबले आरएससी फैसले पर जीते हैं। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा कि मुझे सतर्क रहना था और आक्रामक नहीं हो सकती थी। लेकिन मुकाबले के अंत में मैंने सोचा कि मैं ऐसा कर सकती हूं। अपने तीनों मुकाबले ‘आरएससी’ से जीतने का यही फायदा है कि मेरी प्रतिद्वंद्वी अब दबाव में होंगी। वहीं कई बार की राष्ट्रीय चैम्पियन स्वीटी को पहले दौर में बाई मिली थी, वह पदक से महज एक जीत दूर थीं और इस 30 साल की मुक्केबाज ने आसान जीत से पदक पक्का कर दिया।