Olympic Rings: ओलंपिक के 5 रिंग्स का क्या है मतलब, जानिए कब किया गया था डिजाइन?
ओलंपिक 2024 की शुरुआत फ्रांस की राजधानी पेरिस में 26 जुलाई से हो रही है। इस बार दुनियाभर के 10,000 से ज्यादा एथलीट ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं और उनकी सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं।
Olympic Rings: ओलंपिक को दुनिया के सबसे बड़े खेलों में गिना जाता है। सबसे पहले ओलंपिक गेम्स 1896 में हुए थे। तब से इसका आयोजन हर चार साल के अन्तराल पर किया जाता है। हर खिलाड़ी यहां पर पदक जीतना चाहता है। हर देश का खिलाड़ी अपने खेल की छाप ओलंपिक में छोड़ना चाहता है और इसके लिए खिलाड़ी सालों-साल तैयारी करते हैं। आपने ओलंपिक सिम्बल में पांच रिंग्स अलग-अलग रंग के देखे होंगे आइए जानते हैं, इनका मतलब क्या है?
पियरे डी कोबर्टिन ने 1913 में किया डिजाइन
ओलंपिक सिम्बल में पांच रिंग्स अलग-अलग रंग की हैं, जो आपस में जुड़ी हुई हैं। लेफ्ट से राइट की तरफ से ये रिंग्स नीले, पीले, काले, हरे और लाल रंग की हैं और ये सभी रिंग्स समान आकार की हैं। इन्हें इस तरह से डिजाइन किया गया है कि नीले, काले और लाल रंग की रिंग्स ऊपर हैं। वहीं पीले और हरे रंग की रिंग्स नीचे लगी हुई हैं। इसे पियरे डी कोबर्टिन ने 1913 में डिजाइन किया था। इसके बाद 1920 ओलंपिक गेम्स में ओलंपिक रिंग्स का डेब्यू हुआ।
पांच महाद्वीपों को दर्शातें हैं रिंग्स
ओलंपिक चार्टर के नियम-8 के मुताबिक ओलंपिक सिम्बल ओलंपिक आंदोलन की गतिविधि को व्यक्त करता है। जो ओलंपिक की सार्वभौमिकता का प्रतीक है। पांच रिंग्स एथलीट्स की भागीदारी का प्रतीक हैं। ओलंपिक रिंग्स पांच महाद्वीपों के संघ को दर्शाते हैं। इनमें अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोप शामिल हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सा रंग किस महाद्वीप को रिप्रजेंट करता है। पियरे डी कूपर्टिन ने ओलंपिक सिम्बल को डिजाइन किया था तब उन्होंने सफेद बैकग्राउंड के साथ पांच रंगों की रिंग्स को मिलाकर इसे बनाया, उस समय इसने बिना किसी अपवाद के सभी देशों के झंडे के रंगों का प्रतिनिधित्व किया।
भारत की तरफ से कुल 117 एथलीट ले रहे हिस्सा
पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत 26 जुलाई से हो रही है और इस बार 10000 से ज्यादा एथलीट ओलंपिक के महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं। भारत की तरफ से खेल मंत्रालय ने इस बार कुल 117 एथलीट पेरिस ओलंपिक के लिए मंजूरी दी है। टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था और स्वर्ण पदक सहित कुल 7 पदक जीते थे। इस बार भारत के पदकों की संख्या दोहरे अंक में पहुंचने की उम्मीद है।
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