Exclusive: यूरोपियन बास्केटबॉल लीग में खेलने वाले पहले भारतीय उल्हास सत्यनारायण, जानिए कैसे पूरा किया यह सपना
उल्हास कावेरी सत्यनारायण पहले ऐसे भारतीय हैं जिनको यूरोपियन बॉस्केटबॉल लीग में खेलने का मौका मिला। उल्हास ने ना सिर्फ भारत के लिए खेला बल्कि उन्होंने मोल्डोवा और माल्टा के लिए भी खेला है।
बास्केटबॉल एक ऐसा खेल है जिसको लेकर भारत में अधिक उत्साह देखने को नहीं मिलता है, लेकिन विदेशों में इस खेल के फैंस काफी दीवाने हैं। इसी में भारत के ही उल्हास कावेरी सत्यनारायण एक ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं जिन्होंने बास्केटबॉल को अपना करियर बनाया और यूरोपियन लीग में खेला है। 18 साल की उम्र में बास्केटबॉल को अपना करियर बनाने वाले उल्हास सत्यनारायण ने लंदन में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर की बास्केटबॉल टीम का हिस्सा बनने के साथ इंग्लैंड में होने वाली नेशनल बास्केटबॉल लीग में खेला। उल्हास को साल 2016-17 में इंटरनेशनल प्लेयर ऑफ द अवॉर्ड मिला और फिर इसके ठीक अगले साल वह टीम के कप्तान भी बना दिए गए।
उल्हास के खेल में लगातार सुधार देखने को मिला जिसमें साल 2021-22 में यूरोप में प्रोफेशनल बास्केटबॉल लीग खेलने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने। उन्हें ग्लोरिया की टीम ने मोल्डोवन नेशनल लीग डिविजन 1 में अपने साथ जोड़ा जिसमें उल्हास की टीम ने ब्रॉन्ज मेडल को अपने नाम किया था। उल्हास अपनी टीम से सबसे ज्यादा स्कोर करने वाले दूसरे खिलाड़ी थे। उनकी इस उपलब्धि को भारत में भी नोटिस किया गया और उन्हें सीधे भारतीय सीनियर फुटबॉल टीम के कैंप में शामिल होने का निमंत्रण मिला। उल्हास को 24 साल की उम्र में भारत की तरफ से फीबा एशिया वर्ल्ड कप क्वालीफायर्स में खेलने का मौका मिला। उल्हास ने अभी तक के अपने इस सफर के बारे में इंडिया टीवी से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
बास्केटबॉल लीग में खेलने का अब तक का अनुभव कैसा रहा है? बास्केटबॉल में एक भारतीय को देखकर वहां लोगों ने किस तरह का रिएक्शन दिया
उल्हास कावेरी सत्यनारायण ने इस सवाल के जवाब में कहा कि यह उनके लिए काफी नया है क्योंकि निश्चित रूप से वहां कोई भारतीय या कोई दक्षिण-एशियाई खिलाड़ी नहीं खेला है। उनकी प्रतिक्रिया आमतौर पर होती है - 'क्या यह लड़का हमारे साथ और हमारे स्तर पर खेल सकता है? क्योंकि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बास्केटबॉल के लिए बड़े पैमाने पर नहीं जाना जाता है। भारत एशिया में बहुत अच्छा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को प्रतिस्पर्धी नहीं माना जाता है। इसलिए जब उन्होंने मुझे देखा, तो वे हैरान रह गए। लेकिन जैसे-जैसे मैंने प्रदर्शन किया और वास्तव में अच्छा खेला, वे समझ गए कि मैं उनमें से एक हूं और इस स्तर पर खेल सकता हूं। मैं उन एथलीटों के खिलाफ खेल रहा था जो यूएसए डिवीजन 1, एनसीएए (यूएसए में कॉलेज लीग) और जी लीग एनबीए से हैं। इसमें कुछ शीर्ष खिलाड़ी लीग में खेलते हैं। इन लोगों के खिलाफ खेलना बहुत मजेदार अनुभव रहा है और जब आप दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक के साथ खेलते हैं तो आप आगे बढ़ते हैं।
आपने 7 साल की उम्र में बास्केटबॉल खेलना शुरू कर दिया था, भारत जैसे देश में जहाँ क्रिकेट के बहुत बड़े प्रशंसक हैं, आपको बास्केटबॉल को करियर के रूप में चुनने की प्रेरणा किस बात से मिली?
मैं कहूँगा कि यह नियति है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जब मैं 7 साल का था, तब मेरी स्कूल टीचर ने मुझे आउटडोर एक्टिविटी के लिए चुना और मैंने किसी भी अन्य भारतीय की तरह क्रिकेट को चुना। लेकिन उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग हैं और कोई स्लॉट नहीं है। फिर मैंने फुटबॉल और फिर वॉलीबॉल को चुना लेकिन वहां भी स्लॉट भरे हुए थे। मैंने आखिरकार उनसे पूछा कि क्या कोई आउटडोर एक्टिविटी बची है और उन्होंने कहा कि बास्केटबॉल। इस तरह से मेरी जर्नी शुरू हुई। मैंने तीन दिन बास्केटबॉल खेला और यह मेरे लिए स्वाभाविक रूप से आ गया। वहां से, मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और दो साल के अंदर मुझे इस खेल से प्यार हो गया।
किसी भी खेल में फिटनेस बेहद ज़रूरी है, खुद को फिट रखने के लिए आप पिछले कई सालों से किस तरह की डाइट को फॉलो कर रहे हैं
मैं पूरी जिंदगी शाकाहारी रहा हूँ। किसी के लिए यह सुनना अनोखा होगा, लेकिन विराट कोहली भी अब शाकाहारी (वीगन) हो गए हैं। एक गलत धारणा है कि आपके शरीर को बहुत ज्यादा प्रोटीन की जरूरत होती है और यही सबसे जरूरी चीज है। लेकिन एक संपूर्ण आहार के तौर पर, अगर आप सही मात्रा में दाल और चावल लेते हैं और अगर आपको पता है कि आपको कितनी मात्रा लेनी है, तो हमारा भारतीय आहार आपके लिए काफी जो आपको पूरी तरह से फिट भी रख सकता है।
NBA में खेलना किसी बास्केटबॉल खिलाड़ी के लिए एक शिखर या सपना माना जाता है, NBA में आपकी पसंदीदा टीम कौन सी है और आपका पसंदीदा खिलाड़ी कौन है?
लॉस एंजिल्स लेकर्स मेरी पसंदीदा टीम है जो एक मशहूर फ्रेंचाइजी है। मेरा पसंदीदा खिलाड़ी कोबे ब्रायंट था। हाल ही में उनका निधन हो गया, लेकिन वे मेरे लिए प्रेरणा थे कि मैं इतनी दूर तक पहुंच सका और सभी चुनौतियों से लड़ सका। मेरे पास कोई ऐसा नहीं था जिसकी ओर मैं देखूं और जो मुझे एक प्रोफेशनल बास्केटबॉल खिलाड़ी बनने की तरफ कैसे आगे बढ़ें उसका रास्ता दिखा सके।
जब आपने बास्केटबॉल को अपना करियर चुना तो आपके माता-पिता की प्रतिक्रिया कैसी थी और परिवार से आपको कैसा समर्थन मिला?
एक युवा छात्र के रूप में मैं आउटडोर खेलता था और एक एथलीट था इसलिए मैं अपनी पढ़ाई भी सही से मैनेज कर रहा था। जब तक मुझे एहसास नहीं हुआ कि मैं बहुत अच्छे स्तर पर खेल रहा हूं और मैंने दिल्ली नेशनल्स के लिए खेलना शुरू कर दिया। जल्द ही मेरे परिवार ने देखा कि मेरे लिए बड़े स्तर पर खेलने की क्षमता है उन्होंने मेरा पूरा सपोर्ट किया और मुझे खेलने के लिए प्रेरित किया। इसलिए मैं कहूंगा कि मेरी सफलता मेरे परिवार की भूमिका काफी अहम रही है।
कुछ खेलों के अलावा भारत में बास्केटबॉल को ज्यादा पसंद नहीं किया जाता है, आपको क्या लगता है कि इस खेल को बढ़ावा देने या हमारे देश में ध्यान आकर्षित करने के लिए क्या सुधार किए जाने चाहिए?
भारत में जल्द ही एक लीग आने वाली है। आप जानते हैं कि लीग की शुरुआत के बाद कबड्डी किस तरह से प्रमुखता से आगे बढ़ा है। इसी तरह से आने वाले कुछ महीनों या सालों में भारत में भी एक बास्केटबॉल लीग होगी और यही बदलाव होगा। भारतीय लोगों को पता चलेगा कि बास्केटबॉल भी एक खेल के रूप में मौजूद है और बच्चे इसे प्रोफेशनल रूप से अपना सकते हैं और लोगों को इसे खेलने के लिए किसी अन्य नौकरी की तरह ही पैसे मिलते हैं। लीग ऐसी चीज है जिसकी भारत को जरूरत है और ओलंपिक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए भी देश के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की खोज करने और इसे आगे बढ़ाने के लिए लीग बहुत अहम भूमिका निभा सकती है।
आप ओल्ड स्कूल बॉलर्स टीम का हिस्सा थे जिसने 2019 में मुंबई में स्ट्रीट बॉल लीग के पहले सीजन को जीता था, तब माहौल या रुचि कैसी थी और इसकी तुलना में क्या 5 साल बाद चीजें बेहतर हुई हैं?
जब मैं इस लीग में खेलने आया था मैं यूके से आया था। मैं वहां तीन साल से खेल रहा था और अपनी टीम का कप्तान था। मैं पहले से ही एक यूरोपीय सेटअप में खेल रहा था। इस लीग को रणविजय सिंह और वरुण सूद ने बनाया था। तब से लेकर अब तक जब मैं भारत में बास्केटबॉल देखता हूं तो इस खेल की लोकप्रियता स्तर काफी बढ़ गया है। अगर आप 5 बच्चों को लेते हैं तो कम से कम एक या दो बास्केटबॉल खेल रहे हैं। हर स्कूल में अब एक बास्केटबॉल कोर्ट भी है। पिछले 5 सालों में इस खेल ने एक बड़ा स्वरूप ले लिया है। आने वाले अगले कुछ सालों बास्केटबॉल को सिखाने के लिए और एकेडमी भी खुलेंगी।