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Hindi News खेल अन्य खेल बचपन में हुआ मां का निधन, फिर मेहनत से पाया पैरालंपिक पदक; अब अर्जुन अवॉर्ड पर नित्या का बयान आया सामने

बचपन में हुआ मां का निधन, फिर मेहनत से पाया पैरालंपिक पदक; अब अर्जुन अवॉर्ड पर नित्या का बयान आया सामने

Nithya Sre Sivan: अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुनी गईं पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी नित्या श्री सिवन को अब भी स्कूल के वे आंसू भरे दिन याद हैं अपने ऊपर कसी गई फब्तियों से निराश होकर वह अवसाद में रहने लगी थीं।

पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी नित्या श्री सिवन- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी नित्या श्री सिवन

Nithya Sre Sivan: पेरिस पैरालंपिक 2024 में नित्या श्री सिवन ने बैडमिंटन के वुमेंस सिंगल्स के एसएच 6 वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। अब उन्हें बेहतरीन प्रदर्शन के लिए खेल मंत्रालय की तरफ से अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुना गया है। तमिलनाडु के होसुर में जन्मी और पली-बढ़ीं नित्या जब सिर्फ एक साल की थी, तब उनकी मां का निधन हो गया था।  पिता और दादी ने उनका लालन-पालन किया और इस दौरान उनके भाई ने उनका पूरा साथ दिया। 

अर्जुन अवॉर्ड को बताया खास सम्मान

नित्या श्री सिवन ने कहा कि जब मैं छठीं या सातवीं कक्षा में थी तब मेरा शारीरिक विकास रुक गया था। स्कूल में मेरे खिलाफ शरारत होती थी। मैं बहुत दुखी रहती थी। मैं परेशानी होकर हर छोटी-छोटी बात पर रोती रहती थी। यह अवॉर्ड उन लोगों को जवाब है कि मैं भी कुछ कर सकती हूं और बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकती हूं। मैंने अपने कई साथी खिलाड़ियों को देखा है जो अवॉर्ड जीत रहे हैं और उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। इसलिए नेशनल अवॉर्ड में से एक प्राप्त करना बहुत प्रतिष्ठित है। 

एशियाई पैरा खेलों में जीत चुकी हैं तीन पदक

उन्होंने कहा कि मैं अक्सर घर के अंदर रहती थी। मेरे पिता मुझे खेलने के लिए लगातार प्रेरित करते थे ताकि मैं घर से बाहर निकलने में संकोच न करूं। इसमें बैडमिंटन ने मेरी मदद की है। मैं अब वास्तव में स्वतंत्र महसूस करती हूं। बैडमिंटन खेलने से पहले, मैं वास्तव में ज्यादा बात नहीं करती था, लेकिन अब बिना किसी झिझक के मैं लोगों से बात करती हूं। एशियाई पैरा खेलों (2022) में तीन कांस्य पदक जीतने वाली नित्या के पिता को खेलों से काफी लगाव है।  

उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी हर रविवार को एक बड़ी टीम के साथ क्रिकेट खेलते थे और मैं उनके साथ देखने जाती थी। मेरा भाई जिला स्तर का खिलाड़ी था और मैं भी उसके साथ उसकी एकेडमी में जाती थी कभी-कभी, हम गली क्रिकेट खेलते थे। जब मैंने क्रिकेट अपनाने पर विचार किया, तो वहां कोई महिला खिलाड़ी नहीं थी। रियो ओलंपिक के दौरान उन्होंने पहली बार बैडमिंटन देखा और उसके बाद सब कुछ बदल गया। यह उनका पसंदीदा खेल और फिर जूनून बन गया। 

पीवी सिंधु को देखकर मिली प्रेरणा

नित्या ने कहा कि मेरे भाई ने फिटनेस के लिए बैडमिंटन चुना और मैं भी उनके साथ जुड़ गई। 2016 में पीवी सिंधु को देखकर मुझे प्रेरणा मिली और मैंने अपने दोस्तों के साथ गली की सड़कों पर बैडमिंटन खेलना शुरू किया। इससे अभ्यास में मेरी रुचि जगी और मैंने सप्ताह में दो बार अभ्यास करना शुरू कर किया। यह समय के साथ धीरे-धीरे रोज का सेशन में बढ़ता गया।

(Input: PTI)

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