National Sports Day: हॉकी की दुनिया पर राज करने वाले भारतीय दिग्गज मेजर ध्यानचंद की आज 117वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले महान ध्यानचंद की याद में आज के दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में खेल और खिलाड़ियों से जुड़े कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खास मौके पर मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है।
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
पीएम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए खास संदेश देते हुए कहा कि हाल के सालों में देश में खेलों में हमारा प्रदर्शन शानदार रहा है और उम्मीद है कि आने वाले सालों में यह और तेजी से देशभर में फैलेगा। उन्होंने इसके साथ ही सभी को राष्ट्रीय खेल दिवस की शुभकामनाएं भी दी हैं।
मेजर ध्यानचंद की याद में मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस
गौरतलब है कि आज के दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे एक तरह से मेजर ध्यानचंद की याद में मनाया जाता है और सभी को खेलों के प्रति जागरूक करने की कोशिश होती है।
मेजर ध्यानचंद ने जीते थे तीन ओलंपिक गोल्ड
बात करें मेजर ध्यानचंद की उपलब्धियों और करियर की तो उन्होंने तीन ओलंपिक गोल्ड जीते थे। वह 1928. 1932 और 1936 में ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का अहम हिस्सा थे। उन्होंने अपने करियर के दौरान भारत के लिए 185 मैचों में 570 गोल किए।
16 साल की उम्र में हुए थे सेना में शामिल
मेजर ध्यानचंद के जीवन की बात करें तो उनका जन्म 29 अगस्त, 1905 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था। बचपन से ही उनकी दिलचस्पी हॉकी में थी और इसीलिए वह भी अपने पिता के रास्ते पर चलते हुए 16 साल की उम्र में ब्रिटिश आर्मी में शामिल हो गए और अपने खेल को खेलना शुरू किया। 1922 से 1926 के दौरान उन्होंने कई हॉकी टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया। धीरे-धीरे वह इस खेल में इतना डूब गए कि उन्होंने रात में भी खेलना शुरू कर दिया। वह दिन में सेना का ड्यूटी करते और फिर रात को चांद की रौशनी में हॉकी खेलते। इसी वजह से उनका नाम भी ध्यान सिंह से ध्यान चंद रख दिया गया।
भारत को हॉकी में दिलाया लगातार तीन ओलंपिक गोल्ड
वह पहली बार 1926 में न्यूजीलैंड के दौरे पर गए। यहां उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा और इसकी वजह से ब्रिटिश आर्मी में उनका प्रमोशन कर दिया गया। वह पंजाब रेजिमेंट में लांस नायक बनाए गए। इसके बाद उन्होंने ओलंपिक खेलों में भारत की कप्तानी करते हुए लगातार तीन गोल्ड मेडल जीते। वह 1956 में भारतीय सेना से मेजर के पद पर रिटायर हुए। इसी साल उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ से नवाजा गया और फिर बाद में नेशनल इंस्टिच्यूट ऑफ स्पोर्ट्स का मुख्य कोच भी बनाया गया। उनके नाम पर आज देश में खेल का सबसे बड़ा सम्मान ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न’ दिया जाता है।