इंडियन ओलंपिक संघ (आईओए) की मौजूदा अध्यक्ष पीटी उषा ने 8 अप्रैल को अपने एक लेटर के जरिए आईओए के कार्यकारी सदस्यों को लेकर लिखा था कि वह उन्हें दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके इस पत्र की सबसे बड़ी वजह कार्यकारी परिषद के सदस्यों की तरफ से अजय कुमार नारंग को उनके पद से टर्मिनेट किए जाने का लेटर दिया जाना जिसकी जानकारी पीटी उषा को नहीं दी गई। वहीं अब इस पूरे मामले में आईओए के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा की भी प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उन्होंने साफतौर पर मौजूदा अध्यक्ष को उनके अधिकार और पावर को लेकर बताया है।
नौकरी देना या निकालना अध्यक्ष का अधिकार नहीं
आईओए के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने पीटी उषा के लेटर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि मैं भी साल 2017 से लेकर 2022 तक अध्यक्ष रहा हूं और आपकी भी शक्तिया और अधिकार वह ही हैं जो मेरे समय पर थे। आईओए अध्यक्ष की पावर इसके संविधान में रूल 15.1.1 से 15.1.6 तक हैं आपको इसका पालन करना चाहिए। किसी को नौकरी देना या नौकरी से निकालने का अधिकार आईओए अध्यक्ष का नहीं है। रूल नंबर 15.1.6 में ये बताया गया है कि अध्यक्ष ईसी या जीए के निर्देशानुसार कोई अन्य कार्य कर सकते हैं। इसका सीधा मतलब है कि आईओए अध्यक्ष ईसी के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसी वजह से यदि सीईओ को नियुक्त करने की पावर ईसी के पास है तो उन्हें नौकरी से निकालने की भी शक्ति उनके पास है। मैं 2016 से 2022 तक इंटरनेशनल हॉकी महासंघ (एफआईएच) का अध्यक्ष भी रहा हूं और आईओ की तरह जहां सीईओ की नियुक्ति आईओए संविधान में नियम 15.3 में प्रदान की गई है, उसी प्रकार एफआईएच संविधान में यह एफआईएच कानून के अनुच्छेद 8.2 में प्रदान की गई है।
मेरा अनुरोध है कि खेलों के लिए काम करें
नरेंद्र बत्रा ने अपने इस जवाब में आगे लिखा कि मुझे लगता है कि आईओए में आपके और ईसी के बीच ये गलतफहमी का एक मुख्य हो कारण हो सकता है। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप रिमोट कंट्रोलर्स को छोड़ दें और ईसी के साथ काम करें क्योंकि भारत ने साल 2036 के ओलंपिक खेलों के लिए बोली लगाई है, ऐसे में आपको खेलों के लिए काम करना चाहिए और अभी से और 2036 ओलंपिक के लिए कम उम्र के एथलीटों के चयन की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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