भुवनेश्वर। तोक्यो ओलंपिक में एतिहासिक चौथे स्थान पर रही भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य फारवर्ड नवनीत कौर ने कहा कि ये उनके पिता के लगातार प्रयास थे जिसके कारण उन्हें राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने में मदद मिली। नवनीत ने हॉकी इंडिया की पोडकास्ट सीरीज ‘हॉकी ते चर्चा’ पर कहा, ‘‘बचपन से ही मेरी खेल में काफी रुचि थी। मेरे पिता चाहते थे कि मैं क्रिकेटर बनूं लेकिन मेरे गृहनगर शाहबाद में क्रिकेट नहीं होता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे घर के सामने एक स्कूल था जहां हॉकी खेली जाती थी और वहीं मैंने सबसे पहले यह खेल खेलना शुरू किया।’’
नवनीत ने कहा, ‘‘टीवी ठीक करने वाली दुकान पर काम करने वाले मेरे पिता ने भारतीय टीम में मुझे पहुंचाने में मदद करने के लिए काफी प्रयास किए।’’ हरियाणा की 26 साल की नवनीत के अंतिम लम्हों में दागे गोल की बदौलत भारत ने पिछले साल आयरलैंड को तोक्यो ओलंपिक के ग्रुप चरण में 1-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने की उम्मीद जीवंत रखी थी। नवनीत ने सबसे पहले 2013 में सुर्खियां बटोरी जब जूनियर विश्व कप में पेनल्टी स्ट्रोक पर उनके गोल की मदद से भारत ने कांस्य पदक जीता।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं जूनियर भारतीय महिला टीम से जुड़ी तो जूनियर विश्व कप 2013 मेरे लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट था। यह मेरे लिए काफी अच्छा टूर्नामेंट रहा। हमने शूट आउट जीतकर कांस्य पदक हासिल किया और मैंने भी शूट आउट में गोल किया। ’’ नवनीत ने कहा, ‘‘भारतीय जूनियर टीम की काफी खिलाड़ी अभी सीनियर टीम में एक साथ खेलती हैं। इतने वर्षों तक उन्हीं खिलाड़ियों के साथ खेलकर काफी अच्छा महसूस होता है। ’’