Lovlina Borgohain: टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने 28 जुलाई से शुरू हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले उनके साथ हो रहे व्यवहार पर गहरी निराशा जताई थी। उनकी आपबीती जानने के बाद भारतीय खेलों में एक भूचाल सा आ गया। खेलप्रेमी और खेलों को चलाने वाले तमाम आलाकमान सकते में आ गए और आनन फानन में लवलीना की तकलीफों को दूर करने की कोशिश की गई।
स्टार बॉक्सर की निजी कोच को मिला एक्रीडिटेशन
कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने के लिए बर्मिंघम में मौजूद बोरगोहेन की निजी कोच संध्या गुरुंग को भी मंगलवार को इन खेलों के लिए एक्रीडिटेशन मिल गया। उनकी कोच को यह मान्यता लवलीना के उस ट्वीट के बाद मिला जिसमें उन्होंने ‘लगातार उत्पीड़न’ के कारण अपनी तैयरियों के प्रभावित होने का दावा किया था। बता दे कि संध्या भारतीय मुक्केबाजी टीम की सहायक कोच भी हैं। उन्हें प्रतियोगिता से कुछ ही दिन पहले भारतीय दल में शामिल किया गया। रविवार को यहां पहुंचने पर उन्हें खेल गांव में प्रवेश की स्वीकृति नहीं मिली क्योंकि उनके पास एक्रीडिटेशन नहीं था जिससे विवाद पैदा हो गया। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘‘संध्या को आज सुबह मुक्केबाजी खेल गांव लाया गया और एक्रीडिटेशन दिया गया। वह अब टीम के साथ हैं।’’ संध्या को खेल गांव में कमरा भी दिया गया है।
लवलीना ने ट्विटर पर जताई थी निराशा
ये सारी कार्रवाई लवलीना के ट्विटर पर सोमवार को आई लंबी पोस्ट के बाद हुई। उन्होंने इस पोस्ट में अपनी कोच को टीम में शामिल कराने के लिए जूझने की बात करते हुए मानसिक उत्पीड़न की बात लिखी थी। उन्होंने लिखा था, ‘‘आज मैं बहुत दुख के साथ कह रही हूं कि मुझे (मानसिक तौर पर) लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। ओलंपिक में पदक लाने में मेरी मदद करने वाले कोच को हमेशा बाहर कर दिया जाता है जिससे मेरे ट्रेनिंग प्रोग्राम पर असर पड़ता है।’’
लवलीना की सफलता में कोच संध्या का खास योगदान
2020 तोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम करने वाली लवलीना ने इन खेलों से पहले खराब मानसिक स्थिति से उबरने का क्रेडिट संध्या को दिया था। राष्ट्रमंडल खेलों से पहले आयरलैंड में 15 दिनों के ट्रेनिंग कैंप के दौरान भी संध्या लवलीना के साथ थी। बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) ने बयान में कहा कि नियमों के मुताबिक स्ककवॉड में सहयोगी स्टाफ की संख्या खिलाड़ियों की संख्या का एक तिहाई (33 प्रतिशत) होती है। भारतीय मुक्केबाजी दल में 12 खिलाड़ी (आठ पुरुष और चार महिला) हैं। इसके मुताबिक टीम के साथ चार सहयोगी सदस्य रह सकते हैं। बीएफआई ने कहा, ‘‘कोच और सहयोगी स्टाफ के संबंध में मुक्केबाजी की आवश्यकता थोड़ी अलग है क्योंकि एक के बाद एक कई मुकाबले हो सकते हैं।’’ बयान के मुताबिक, ‘‘आईओए की मदद से 12 मुक्केबाजों के दल के लिए सहयोगी स्टाफ की संख्या चार से बढ़कर आठ कर दी गई है।’’