Lakshya Sen CWG 2022: भारत बर्मिंघम में 28 जुलाई से 8 अगस्त तक होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में 10 सदस्यीय बैडमिंटन स्क्वॉड भेज रहा है। इन 10 खिलाड़ियों में भारत को अपने जिन दो खिलाड़ियों से मेडल की सबसे ज्यादा उम्मीद होगी, वे हैं पीवी सिंधु और लक्ष्य सेन। पिछले हफ्ते सिंगापुर ओपन का खिताब जीतकर सिंधु शानदार फॉर्म में वापसी कर चुकी हैं। वहीं यंग इंडियन स्टार शटलर लक्ष्य सेन बर्मिंघम में उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिससे चार महीने पहले वे चूक गए थे।
लक्ष्य बर्मिंघम में करेंगे ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप की कसर पूरी!
लक्ष्य सेन चार महीने पहले ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे लेकिन गोल्ड मेडल जीतने से सिर्फ एक कदम दूर रह गए थे। वह पिछले 21 सालों में इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे। अल्मोड़ा के 20 साल के शटलर ने सिलवर मेडल जीता था, गोल्ड से इस दूरी को खत्म करने का मौका उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स के बर्मिंघम एरिना में मिल सकता है।
भारतीय शटलर सेन ने पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे उस हॉल में खेलना पसंद है। वहां की परिस्थितियां मेरे अनुकूल हैं। मेरी वहां से अच्छी यादें जुड़ी हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार भी मैं वहां अच्छा प्रदर्शन करूंगा। यह भी बड़ा टूर्नामेंट है और इसलिये मैं बेहतर प्रदर्शन करके पदक जीतना चाहता हूं।’’
हालांकि कॉमनवेल्थ गेम्स में सिंगल्स में गोल्ड मेडल को जीतना उनके लिए आसान नहीं होगा। इन खेलों में विश्व के कई नामचीन खिलाड़ी मौजूद होंगे। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सभी तीन - चार प्लेयर्स के पास येलो मेडल जीतने का अच्छा मौका होगा। मैं पदक के रंग के बारे में नहीं सोच रहा हूं। मैं वहां जाकर एक बार में एक मैच पर ध्यान देना चाहता हूं।’’
भारत ने पिछली बार गोल्ड कोस्ट खेलों में मिक्स्ड टीम का गोल्ड मेडल जीता था और तब सेन ने इसे टेलीविजन पर देखा था। सेन ने कहा, ‘‘पिछली बार जब भारत ने स्वर्ण पदक जीता था तो मैंने उसे टीवी पर देखा था। इससे पहले मैंने (पारुपल्ली) कश्यप भैया को 2014 में स्वर्ण पदक जीतते हुए देखा था। लेकिन 2018 में बहुत अच्छा लगा। मैं तब टीम का हिस्सा बनना चाहता था।’’
इंग्लैंड आठ खिताब जीतकर कॉमनवेल्थ गेम्स की सबसे सफल बैडमिंटन टीम है जबकि पांच बार का चैंपियन मलेशिया ने 1998 से 2014 के बीच इन खेलों में अपना दबदबा रखा था। भारत ने पिछली बार मलेशिया को हराकर खिताब अपने नाम किया था।