Malaysia Masters: भारतीय शटलर ने रचा इतिहास, बने खिताब जीतने वाले पहले पुरुष खिलाड़ी
भारत के स्टार शटलर ने मलेशिया मास्टर्स का खिताब जीतकर अपना नाम इतिहास के पन्नों पर अमर कर लिया है। वह यह खिताब जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने हैं।
भारत के स्टार शटलर एचएस प्रणय ने रविवार को मलेशिया मास्टर्स सुपर 500 बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है। भारतीय शटलर ने रविवार को हुए कड़े फाइनल मुकाबले में तीन गेम में चीन के वेंग होंग येंग को हराकर अपना पहला बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर खिताब जीता। 30 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी ने 94 मिनट चले मुकाबले के दौरान शानदार जज्बा दिखाते हुए चीन के दुनिया के 34वें नंबर के खिलाड़ी वेंग के खिलाफ 21-19 13-21 21-18 से जीत दर्ज की। वह भारत के लिए पुरुष सिंगल्स में यह खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने हैं।
प्रणय ने पिछले साल थॉमस कप में भारत की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन 2017 अमेरिकी ओपन ग्रां प्री गोल्ड के बाद से वह व्यक्तिगत खिताब नहीं जीत पाए थे। केरल का यह बैडमिंटन खिलाड़ी पिछले साल स्विस ओपन के फाइनल में पहुंचकर खिताब के सूखे को खत्म करने के करीब पहुंचा था। इसके अलावा प्रणय मलेशिया और इंडोनेशिया सुपर 1000 टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में भी जगह बनाने में सफल रहे थे। रविवार को दुनिया के नौवें नंबर के खिलाड़ी प्रणय ने चीन के 23 वर्षीय खिलाड़ी के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की।
पीवी सिंधु ने किया था निराश
प्रणय ने इस हफ्ते शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी खिताबी जीत से पहले दुनिया के पांचवें नंबर के खिलाड़ी चाउ टिएन चेन, ऑल इंग्लैंड चैंपियन ली शी फेंग और जापान के केंटा निशिमोटो को हराकर यहां तक का सफर तय किया था। सेमीफाइनल में भारत की एक और स्टार शटलर पीवी सिंधु महिला वर्ग में हारकर बाहर हो गई थीं। उससे पहले किदांबी श्रीकांत भी खुद को इस टूर्नामेंट में ज्यादा आगे तक नहीं ले जा पाए थे। पर प्रणय ने ऐतिहासिक खिताब जीतकर सभी जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया है।
इससे पहले कौन-कौन जीता यह खिताब?
अगर पुरुष सिंगल्स में बात करें तो प्रणय यह खिताब जीतने वाले पहले भारतीय मेन शटलर हैं। वहीं महिला वर्ग में पीवी सिंधु ने 2016 में और साइना नेहवाल ने 2017 में यह खिताब अपने नाम किया था। यानी ओवरऑल प्रणय यह टाइटल जीतने वाले तीसरे भारतीय बने हैं। इस टूर्नामेंट की शुरुआत 2009 से हुई थी और 15 साल के इतिहास में कुल तीन भारतीय शटलर ने इसका खिताब अपने नाम किया है।