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Hindi News खेल अन्य खेल Exclusive: दीपाली देशपांडेय ने खोला पेरिस ओलंपिक में भारतीय शूटर्स की सफलता का राज

Exclusive: दीपाली देशपांडेय ने खोला पेरिस ओलंपिक में भारतीय शूटर्स की सफलता का राज

पेरिस ओलंपिक में स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर पुरुष राइफल 3 पोजीशन में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा। वह 72 साल बाद ओलंपिक मेडल जीतने वाले महाराष्ट्र के पहले एथलीट बने। उनकी इस सफलता में कोच दीपाली देशपांडेय का बड़ा हाथ रहा।

Deepali Deshpande- India TV Hindi Image Source : GETTY दीपाली देशपांडेय

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय शूटर्स ने बेहद ही शानदार प्रदर्शन किया। मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद सरबजोत सिंह के साथ मिलकर मिक्स्ड टीम इवेंट में भी ब्रॉन्ज पर निशाना साधा. इस तरह मनु ने एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। शूटिंग में तीसरा मेडल स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर पुरुष राइफल 3 पोजीशन में दिलाया। एक ओलंपिक गेम्स में भारतीय शूटर्स का इतना बेहतरीन प्रदर्शन आज से पहले कभी नहीं देखा गया था। ये कहानी वो है जो हम सबने देखी लेकिन एक कहानी ऐसी भी है जिससे ज्यादातर लोग अनजान है।

दरअसल, पेरिस ओलंपिक में भारतीय शूटर्स के शानदार प्रदर्शन के पीछे गगन नारंग और दीपाली देशपांडे जैसे कोच का बड़ा हाथ रहा। बुसान 2002 एशियन गेम्स निशानेबाजी टीम इवेंट की सिल्वर मेडल रह चुकीं दीपाली देशपांडे शूटिंग कोच हैं और अब उन्होंने पेरिस में भारतीय शूटर्स की सफलता के पीछे के राज से पर्दा उठाया है। 

ऐसे मिली शूटर्स को सफलता

पूर्व शूटर और कोच दीपाली देशपांडेय ने इंडिया टीवी के स्पोर्ट्स एडिटर समीप राजगुरु से एक्सक्लूसिव बातचीत में खुलासा किया कि कैसे पेरिस में भारतीय शूटर्स को मिली इतनी शानदार सफलता। दीपाली ने बताया किनेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ साल 2012 में उनके सफर का आगाज। उन्हें जूनियर टीम का चीफ कोच बनाया गया जिसके बाद उनकी छत्रछाया में रहते हुए कई शूटर्स ने इंटरनेशनल लेवल पर तिरंगा फहराया।  

साल 2010 से कोचिंग दे रही दीपाली ने जूनियर लेवल पर अंजुम मोदगिल, श्रेयंका, अखिल और स्वप्निल कुसाले को कोचिंग देना शुरू किया और कुछ ही सालों के अंदर सभी शूटर्स इंटरनेशनल लेवल पर भारत का नाम रोशन करने लगे। हालांकि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय शूटर्स के निराशाजनक प्रदर्शन से दीपाली को काफी निराशा हुई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी जिसका नतीजा हम सभी को टोक्यो में देखने को मिला। 

उन्होंने कहा कि टोक्यो में मेडल न मिलने से वह काफी निराश थी लेकिन इस बार उन्हें उम्मीद थी कि मेडल का सूखा खत्म होकर रहेगा। उन्होंने कहा कि राइफल शूटिंग काफी तकनीकी गेम हैं और उनके शूटर्स अब तकनीकी रुप से काफी मजबूत हो गए हैं। यही वजह है कि अगले ओलंपिक में उनका लक्ष्य और ज्यादा मेडल जीतना हैं। 

अगले ओलंपिक में और ज्यादा मेडल की उम्मीद

कोच ने आगे बताया कि अब उनका लक्ष्य 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक हैं और इसके लिए वह और अच्छे से तैयारी करना चाहती हैं ताकि मेडल की संख्या में इजाफा किया जा सके। उन्होंने प्लानिंग पर सबसे ज्यादा जोर दिया और कहा कि हर चरण के लिए प्लानिंग करनी होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्से का भी खुलासा किया। उन्होंने बताया कि टोक्यों ओलंपिक से लौटने के बाद वह काफी निराश थी और फिर उन्होंने पीएम को एक लेटर लिखा था। ये लेटर उन्होंने स्वप्ननिल कुसाले के हाथ भिजवाया था। खास बात ये रही कि दीपाली को इस लेटर का जवाब भी मिला। इस पर उन्होंने पीएम मोदी का आभार जताया। 

स्वप्निल कुसाले के मेडल को दीपाली ने महाराष्ट्र और देश के लिए बहुत ही खास करार दिया। बता दें, कुसाले ओलंपिक में 72 साल बाद मेडल जीतने वाले महाराष्ट्र के पहले खिलाड़ी बने। इससे पहले व्यक्तिगत मेडल केडी जाधव ने कुश्ती में जीता था।