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Hindi News खेल अन्य खेल 11 साल की उम्र में सर से उठा माता-पिता का साया, फिर जीता ब्रॉन्ज मेडल, बेहद शानदार है अमन सहरावत की कहानी

11 साल की उम्र में सर से उठा माता-पिता का साया, फिर जीता ब्रॉन्ज मेडल, बेहद शानदार है अमन सहरावत की कहानी

अमन सहरावत ने भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। इसी के साथ ओलंपिक 2024 में भारत के नाम अब कुल 6 मेडल हो गए। ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने वाले वह सबसे कम उम्र के एथलीट हैं।

Aman Sehrawat- India TV Hindi Image Source : PTI अमन सहरावत

अमन सहरावत...आज इस नाम से भारत का हर शख्स रूबरू है। भारत के नए स्टार और सिर्फ 21 साल की उम्र में ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतना आसान काम नहीं होता। ऐसा करने के लिए आपके अंदर क्षमता होनी चाहिए जिसके लिए आप हर वो चीज त्याग सकते हैं जो आपको पसंद हो। घर से लेकर अपनी हर वो प्यारी चीज जो आपको कम्फर्ट देती हो। अमन सहरावत ने ऐसा किया। यही कारण है कि वह भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाले सबसे कम उम्र के एथलीट बने हैं। अमन की कहानी इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि उन्होंने सिर्फ 11 साल की उम्र में अपने माता और पिता दोनों को खो दिया था। एक ऐसी उम्र जहां किसी को अपने आने वाले कल का होश नहीं रहता, लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बाद भी उनके कड़े हौसलों ने आज उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया।

कोच ने बचपन से किया तैयार

दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम ने भारत को कई महान एथलीट दिए हैं। अमन भी इसी स्टेडियम में कोच प्रवीण दहिया के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करते हैं। उनके कोच ने इंडिया टीवी से कहा कि जब अमन छत्रसाल स्टेडियम पहुंचे थे तो उनकी स्थिति अच्छी नहीं थी और बचपन में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था। वह आर्थिक रूप में भी काफी कमजोर थे, लेकिन वह जानते थे कि अमन बड़े मंच पर भारत का नाम रौशन कर सकते हैं और उनके अंदर काफी प्रतिभा है।

ओलंपिक में मेडल जीतना था सपना

अमन के कोच प्रवीण ने कहा कि अमन को रेलवे में करीब तीन महीने पहले नौकरी लगी थी। तब जाकर उनकी आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। अमन ने नेशनल चैंपियनशिप में लगातार दो साल तक गोल्ड मेडल जीता है। कोच ने अपने बयान में आगे कहा कि अमन से उनकी बात होती है वह अमन को सिर्फ एक ही बात कहते हैं कि वह अपने लक्ष्य पर ध्यान दें। वहीं अमन भी उनसे कहते हैं कि उनका सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है। आज उन्होंने ओलंपिक में मेडल जीतकर न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया है। बल्कि उन्होंने पूरे देश और अपने कोच के सपने को भी पूरा किया है।

10 घंटे में घटाया वजन

अमन के सामने भी अपने ब्रॉन्ज मेडल से ठीक पहले विनेश फोगाट जैसी स्थिति आ गई थी। सेमीफाइनल मैच के बाद अमन का वजन 61 किलो से ज्यादा हो गया था जो तय सीमा से काफी अधिक था। इसके बाद कोच की कड़ी मेहनत के चलते अमन ने अपना वजन 10 घंटे के अंदर 56.9 किलोग्राम तक किया और ब्रॉन्ज मेडल मैच में खेलने के लिए खुद को तैयार किया। अमन पूरी रात मेहनत नहीं करते तो आज शायद भारत के खाते में एक मेडल कम होता।

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