बीसीसीआई के तर्ज पर कुश्ती महासंघ ने खिलाड़ियों के लिए लांच किया वार्षिक अनुबंध
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की तर्ज पर अपने वार्षिक केंद्रीय अनुबंध का शुक्रवार को औपचारिक ऐलान किया जो 15 नवंबर से लागू होगा।
गोंडा। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की तर्ज पर अपने वार्षिक केंद्रीय अनुबंध का शुक्रवार को औपचारिक ऐलान किया जो 15 नवंबर से लागू होगा। महासंघ ने इस वार्षिक केंद्रीय करार में 24 सीनियर खिलाड़ियों को जगह दी है। इस अनुबंध से जिसको सबसे ज्यादा फायदा होगा उनमें बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और पूजा ढांडा जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी को 'ए' कैटेगरी में रखा गया है। ए के अलावा 'बी से ई' तक कैटेगरी बनाई गई है। तीन मार्की खिलाड़ियों को 30 लाख रुपये की एनुअल रिटेनशिप मिलेगी। इसके अलावा कई अन्य फायदे भी मिलेंगे।
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह ने यहां सीनियर नेशनल्स चैम्पियनशिप के उद्घाटन मौके पर पहलवानों के लिए केंद्रीय अनुबंध का औपचारिक ऐलान किया। इस समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। इसी के साथ डब्ल्यूएफआई, भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अधीन आने वाला पहला खेल महासंघ बन गया है जो अपने खिलाड़ियों के लिए केंद्रीय अनुबंध लेकर आया है।
अभी तक सिर्फ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ही अपने खिलाड़ियों को केंद्रीय अनुबंध देता रहा है।
इस मौके पर विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले बजरंग पूनिया, एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट, विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता पूजा ढांडा, रियो ओलम्पिक-2016 की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के साथ तकरीबन 800 खिलाड़ी मौजूद थे, जो टाटा मोटर्स 63वीं पुरुष और 21वीं महिला कुश्ती चैम्पियनशिप में हिस्सा ले रहे हैं।
इस मौके पर ब्रज भूषण शरण सिंह ने कहा कि जमीनी स्तर के खिलाड़ियों सहित कुल 144 खिलाड़ी स्कीम के कई प्रावधानों के तहत फंड हासिल करेंगे। डब्ल्यूएफआई इकलौती ओलम्पिक स्पोर्ट बॉडी है जिसने पहलवानों के हित के लिए बीसीसीआई के केंद्रीय अनुबंध को ध्यान में रखते हुए इस तरह का कदम उठाया है।
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष ने कहा, "इसके पीछे मकसद उन खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाना है जो नेशनल ड्यूटी पर हैं और लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही उनको भी जिन्होंने इस विरासत को आगे ले जाने का दम-खम दिखाया है। पैसा सिर्फ उन्हें मदद नहीं देगा बल्कि साथ ही सभी स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेगा, खासकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर।"
दो बार के ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार और रियो ओलम्पिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक को कैटेगरी बी में रखा गया जिसके तहत इन्हें हर साल 20 लाख रुपये मिलेंगे। ग्रेड-सी में सात पहलवान हैं जिनमें 2016 एशियन चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता संदीप तोमर, विश्व जूनियर चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता साजन बेनीवाल, विनोद कुमार ओमप्रकाश, रितू फोगाट, सुमित, दीपक पूनिया और एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता दिव्या कांकराण शामिल हैं। इन सभी को 10 लाख रुपये हर साल मिलेंगे।
राहुल अवारे, नवीन, उत्कर्ष काले, सचिन राठी, विजय, सिमरन, मानषी और अनुशा को कैटेगरी डी में रखा गया है। इन सभी को पांच लाख रूपये प्रति वर्ष मिलेंगे जबकि नवजोत कौर, किरन, हरप्रीत सिंह और जितेंदर को ग्रेड-ई में जगह मिली है और इस कैटेगरी के खिलाड़ियों को तीन लाख रुपये प्रतिवर्ष मिलेंगे।
भविष्य को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएफआई 120 बालक और बालिकाओं को मदद करेगा। इन सभी को एफ, जी, एच और आई वर्ग में रखा गया है जहां अंडर-23, जूनियर, कैडेट और अंडर-15 के खिलाड़ियों को स्कीम का फायदा होगा और वह विकास कार्यक्रम का हिस्सा बन सकेंगे। ग्रेड एफ में डब्ल्यूएफआई ने नेशनल लेवल पर सभी भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाले सभी अंडर-23 खिलाड़ियों को रखा है। इन खिलाड़ियों को 1.2 लाख रुपये सालाना मिलेंगे। इस लिहाज से हर खिलाड़ी 10,000 प्रति माह पाने का हकदार होगा।
पहलवानों की ग्रेडिंग विश्व चैम्पियनशिप, ओलम्पिक, एशियाई खेल, लंदन ओलम्पिक-2012, रियो ओलम्पिक-2016 के प्रदर्शन को ध्यान में रखकर रखी गई है। यह करार खिलाड़ियों के प्राइवेट स्पांसर से किए गए निजी करार के बीच में बाधा नहीं होगा।