पूर्व भारतीय खिलाड़ियों ने कहा, विजयन की फुटबॉल की समझ है शानदार
बाईचुंग भूटिया के आने से पहले भारतीय फुटबॉल के पोस्टर ब्वाय रहे पूर्व कप्तान विजयन गोल करने की अपनी क्षमता के कारण अपने समय से सबसे खतरनाक स्ट्राइकर में से एक थे।
पूर्व भारतीय खिलाड़ी अकील अंसारी ने कहा है कि दिग्गज स्ट्राइकर आईएम विजयन को टीम के अपने साथियों के साथ हिंदी में बात करने में दिक्कत आती थी लेकिन इसकी भरपाई उन्होंने फुटबॉल की भाषा की अपनी शानदार समझ के साथ की। भारत की ओर से 1990 के दशक में कुछ मैच खेलने वाले अंसारी ने कहा कि विजयन हिंदी में बात करने को लेकर सहज नहीं थे लेकिन वह खेल को किसी से भी बेहतर पढ़ सकते हैं।
अंसारी ने कहा, ‘‘विजयन हमारे सीनियर थे और आप उनके बारे में जितना कहो उतना कम है। लेकिन उनकी हिंदी काफी अच्छी नहीं थी और कभी कभी उन्हें संवाद करते समय जूझना पड़ता था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उन्हें फुटबॉल की भाषा संभवत: किसी से भी बेहतर आती है और खेल को पढ़ने की उनका क्षमता असाधारण है। वह ऐसे खिलाड़ी थे जो सही समय पर सही जगह पहुंचते थे और काम को काफी आसान कर देते थे।’’
बाईचुंग भूटिया के आने से पहले भारतीय फुटबॉल के पोस्टर ब्वाय रहे पूर्व कप्तान विजयन गोल करने की अपनी क्षमता के कारण अपने समय से सबसे खतरनाक स्ट्राइकर में से एक थे। उनके चार मैच में चार गोल की बदौलत भारत ने पाकिस्तान में 1993 में पहले दक्षिण एशियाई फुटबॉल फेडरेशन (सैफ) कप का खिताब जीता।
अंसारी ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं कि वह हमारे सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर थे। लाहौर में उन्होंने कड़ी मेहनत की और हमारे सबसे अहम खिलाड़ी थे।’’ लाहौर में सैफ कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे तेजिंदर कुमार ने कहा कि पाकिस्तानी प्रशंसकों ने भारतीय खिलाड़ियों से कहा था कि वे टूर्नामेंट जीते बिना वापस लौटेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम पाकिस्तान पहुंचे तो हमारे आसपास काफी खुशनुमा चेहरे थे। हमारा भव्य स्वागत किया गया। लेकिन हवाई अड्डे पर कुछ लोग हम पर हंसे और कहने लगे ‘भाईजान, स्वागत है लेकिन आप लोग हारकर लौटोगे।’’
चेक गणराज्य के जिरी पेसाक के मार्गदर्शन और वीपी साथयान के नेतृत्व में खेल रही भारतीय टीम ने अपने अभियान की शुरुआत विजयन और गुणबीर सिंह के गोल से श्रीलंका पर 2-0 की जीत के साथ की।
पांच दिन बाद विजयन के शानदार प्रदर्शन से भारत ने नेपाल को हराया। निर्णायक मुकाबले में भारत ने मेजबान पाकिस्तान के खिलाफ विजयन के अंतिम मिनटों में दागे गोल की बदौलत मैच ड्रॉ कराकर महत्वपूर्ण अंक जुटाया और 27 साल पहले आज ही के दिन ट्रॉफी जीती।