Tokyo Olympics 2020 : लवलीना ने जीता कांस्य पदक, रवि दहिया ने फाइनल में पहुंचकर मेडल किया पक्का
टोक्यो ओलंपिक में 4 अगस्त को लवलीना ने जहां कास्य पदक जीता, वहां कुश्ती के फाइनल में पहुंचकर रवि दहिया ने अपना मेडल पक्का किया।
टोक्यो ओलंपिक 2020 में 4 अगस्त का दिन भारतीय खिलाड़ियों के लिए मिला जुला रहा। लवलीना को सेमीफाइनल में मिली हार के बाद कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा, तो नीरज चोपड़ा ने जेवलीन थ्रो के फाइनल में अपनी जगह बनाई। कुश्ती में रवि दहिया ने अपनी वेट कैटिग्री के फाइनल में प्रवेश कर मेडल पक्का किया तो दीपक पुनिया सेमीफाइनल में हारे। दीपक के पास अभी भी कांस्य पदक जीतने का मौका है, वहीं महिला हॉकी टीम को भी सेमीफाइनल में अर्जेंटीना के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। महिला टीम भी अब कांस्य पदक के लिए ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ मुकाबला खेलेगी।
भारत की स्टार मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन को महिला वेल्टरवेट वर्ग (69 किग्रा) के सेमीफाइनल में तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ हार के साथ ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा। ओलंपिक में डेब्यू कर रही विश्व चैंपियनशिप की दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना के खिलाफ बुसेनाज ने शुरुआत से ही दबदबा बनाया और सर्वसम्मति से 5-0 से जीत दर्ज करने में सफल रही।
भारत के लिए नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो (भालाफेंक) में फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है। नीरज पूल ए में शामिल थे। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो फेंका। इसके साथ ही उन्होंने भारत के लिए पदक की उम्मीद जगाई। चोपड़ा की ओलंपिक की तैयारियां चोट और कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुई थी लेकिन उन्होंने अपने प्रशंसकों को बिलकुल निराश नहीं किया और ओलंपिक में अपनी पहली ही थ्रो पर फाइनल में जगह बना ली। भाला फेंक में ग्रुप ए और ग्रुप बी से 83.50 मीटर का स्वत: क्वालीफिकेशन स्तर हासिल करने वाले खिलाड़ियों सहित शीर्ष 12 खिलाड़ी फाइनल में जगह बनाएंगे।
टोक्यो ओलंपिक में कुश्ती में भारत का पदक पक्का हो गया जब रवि दहिया ने कजाखस्तान के नूरइस्लाम सानायेव हराकर स्वर्ण पदक जीतने की ओर कदम रख दिया। वे ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाले सुशील कुमार के बाद दूसरे भारतीय पहलवान बन गए हालांकि दीपक पुनिया सेमीफाइनल में हारने के बाद अब कांस्य पदक के लिये खेलेंगे।
चौथी वरीयता प्राप्त दहिया 57 किग्रा फ्रीस्टाइल सेमीफाइनल में एक समय 2-9 से पीछे थे लेकिन उन्होंने वापसी करते हुए अपने विरोधी के दोनों पैरों पर हमला किया और उसे कसकर पकड़ लिया। इसके बाद उसे जमीन पर पटखनी देकर मुकाबला जीत लिया। दहिया ने इससे पहले दोनों मुकाबले तकनीकी दक्षता के आधार पर जीते थे।
पहले दौर के बाद दहिया के पास 2-1 की बढ़त थी लेकिन सानायेव ने उनके बायें पैर पर हमला बोलकर तीन बार उन्हें पलटने पर मजबूर करते हुए छह अंक ले लिये। ऐसा लग रहा था कि दहिया हार कीतरफ बढ रहे हैं लेकिन संयम नहीं खोते हुए उन्होंने एक मिनट में बाजी पलट दी।
वहीं, पुनिया ने पुरूषों के 86 किग्रा वर्ग में आसान ड्रॉ का पूरा फायदा उठाते हुए पहले दौर में नाइजीरिया के एकेरेकेमे एगियोमोर को मात दी जो अफ्रीकी चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता हैं। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने चीन के जुशेन लिन को 6-3 से हराया। वहीं, 19 वर्ष की अंशु मलिक महिलाओं के 57 किलोवर्ग के पहले मुकाबले में यूरोपीय चैम्पियन बेलारूस की इरिना कुराचिकिना से 2-8 से हार गई।
अल्जीरिया के अब्देलहक खेरबाचे को तकनीकी दक्षता के आधार पर हराने वाले वेंगलोव के खिलाफ दहिया ने अपना शानदार फॉर्म जारी रखते हुए शुरू से ही दबाव बनाये रखा। चौथे वरीय इस भारतीय पहलवान ने उरबानो के खिलाफ मुकाबले में लगातार विरोधी खिलाड़ी उसके दायें पैर पर हमला किया और पहले पीरियड में ‘टेक-डाउन’ से अंक गंवाने के बाद पूरे मुकाबले में दबदबा बनाए रखा।
गत एशियाई चैंपियन दाहिया ने उस समय 13-2 से जीत दर्ज की जबकि मुकाबले में एक मिनट और 10 सेकेंड का समय और बचा था। भारतीय पहलवान ने दूसरे पीरियड में पांच टेक-डाउन से अंक जुटाते हुए अपनी तकनीकी मजबूती दिखाई। वहीं 86 किग्रा वर्ग में नाइजीरियाई पहलवान के पास ताकत थी लेकिन पुनिया के पास तकनीक थी और वह भारी पड़ी। लिन के खिलाफ हालांकि उन्हें परेशानी पेश आई। उन्होंने 3-1 की बढत बनाई लेकिन लिन ने 3-3 से वापसी की।
रेफरी ने थ्रो के लिये दीपक को दो अंक दिये लेकिन चीनी पहलवान ने इसे चुनौती दी और सफल रहे। दस सेकंड बाकी रहते पुनिया ने लिन के नीचे से घुसकर उसके पैर पकड़ लिये और हवा में उछालकर दो अंक के साथ मुकाबला जीत लिया। वहीं, एशियाई चैम्पियन अंशु ने शानदार वापसी करते हुए 0-4 से पिछड़ने के बावजूद बेलारूस की प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ दो पुश आउट अंक लिये। उसने कुराचिकिना का दाहिना पैर पकड़ लिया लेकिन मूव पूरा नहीं कर सकी। जवाबी हमले पर उसने दो अंक गंवाये लेकिन लड़ती रही।
(भाषा और एएनआई इनपुट के साथ)