Tokyo Olympics 2020: महिला हॉकी टीम हुई निराश, अदिति और बजरंग से मेडल की आस
बजरंग पुनिया अब शनिवार को कांस्य पदक के लिए मुकाबला करेंगे।
स्वर्ण पदक के दावेदार के रूप में उतरे पहलवान बजरंग पूनिया के शुक्रवार को यहां टोक्यो ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में हारने से भारतीय खेमा निश्चित रूप से निराश होगा लेकिन कांस्य पदक से चूकी भारतीय महिला हॉकी टीम ने हारकर भी इतिहास रच दिया जबकि महिला गोल्फर अदिति अशोक ने लगातार तीसरे दिन दूसरे स्थान पर रहकर इस स्पर्धा में देश को पहला पदक दिलाने की उम्मीद बंधा रखी है।
भारतीय पुरुषों की 4x400 मीटर रिले टीम ने 3 मिनट 00.25 सेकेंड का समय निकालकर नया एशियाई रिकॉर्ड बनाया लेकिन वह फाइनल में नहीं पहुंच पायी जबकि पैदल चाल के एथलीटों ने निराशाजनक प्रदर्शन किया।
बजरंग पूनिया को 'लेग-डिफेंस' की कमजोरी के कारण बड़े स्तर पर एक बार फिर परेशानी का सामना करना पड़ा जिससे वह पुरुषों के फ्रीस्टाइल 65 किग्रा सेमीफाइनल में तीन बार के विश्व चैंपियन हाजी अलीव से हार गये और अब शनिवार को कांस्य पदक के लिए मुकाबला करेंगे।
अपने जुझारूपन और दिलेरी से इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम का पहला ओलंपिक पदक जीतने का सपना टूट गया जब ब्रिटेन ने कांस्य पदक के रोमांचक मुकाबले में उसे 4-3 से हरा दिया।
अपना दूसरा ओलंपिक खेल रहीं अदिति ने तीसरे दौर में तीन अंडर 67 का कार्ड खेला जिससे वह गोल्फ में भारत के पहले ओलंपिक पदक की दावेदार बनी हुई हैं। वह तीन दौर के बाद 12 अंडर 201 के स्कोर से अकेली दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि एक अन्य भारतीय महिला गोल्फर दीक्षा डागर एक ओवर 72 के स्कोर के साथ निचले हाफ में हैं।
भारत दो रजत और तीन कांस्य से कुल पांच पदक लेकर तालिका में 65वें स्थान पर बरकरार है। देश शनिवार को खेलों के अंतिम दिन भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा, बजरंग और अदिति से पदक की उम्मीद लगाये है।
भारतीय महिला टीम ने सेमीफाइनल में पहुंचकर पहले ही सफलता के नये मानदंडों को छू लिया था। कांस्य पदक जीतने के करीब भी पहुंची लेकिन रियो ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता दुनिया की चौथे नंबर की ब्रिटिश टीम ने उसके साथ करोड़ों भारतीयों का भी दिल तोड़ दिया। इससे एक दिन पहले ही भारतीय पुरूष टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद कांस्य पदक जीता था।
महिला टीम भी ऐतिहासिक पदक जीतने के लिये प्रयासरत रही जिसके लिये उसने दो गोल से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए हाफटाइम तक 3-2 की बढ़त बना ली। ब्रिटेन ने हालांकि दूसरे हाफ में जबर्दस्त आक्रामक खेल दिखाते हुए दो गोल करके भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। भारतीय टीम ने पांच मिनट के भीतर तीन गोल किये। गुरजीत कौर ने 25वें और 26वें मिनट में जबकि वंदना कटारिया ने 29वें मिनट में गोल दागे।
ब्रिटेन के लिये एलेना रायेर ने 16वें, साारा रॉबर्टसन ने 24वें, कप्तान होली पीयर्ने वेब ने 35वें और ग्रेस बाल्डसन ने 48वें मिनट में गोल किये। भारत का इससे पहले ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1980 में था जब महिला टीम चौथे स्थान पर रही थी।
उस समय सेमीफाइनल नहीं होते थे और छह टीमों ने राउंड रॉबिन आधार पर खेला था जिनमें से दो फाइनल में पहुंची थी। कुश्ती में रियो ओलंपिक के कांस्य विजेता अजरबैजान के अलीव ने लगातार बजरंग के पैरों पर हमला किया और दो बार खुद को उस स्थिति में पहुंचा दिया जहां से वह आसानी से दो अंक हासिल करने में सफल रहे।
पहले पीरियड के बाद 1-4 से पीछे चल रहे बजरंग ने दूसरे पीरियड मे वापसी के लिए आक्रामक रूख अपनाया लेकिन एलीव ने बड़ी चतुराई ने उनकी चाल को नाकाम करते हुए 8-1 की बढ़त हासिल कर ली। आखिरी क्षणों में बजरंग ने वापसी की लेकिन उन्हें मैच जीतने के लिए ज्यादा अंकों वाली पकड़ की जरूरत थी।
मुकाबले के आखिरी 30 सेकेंड में उन्होंने अपना हमला तेज किया लेकिन अलीव ने उन्हें कोई मौका नहीं दिया। हार सुनिश्चित होने के बाद बजरंग मैट पर गिर गये। बजरंग ने दिन की शुरुआत किर्गीस्तान के अर्नाजार अकमातालिएव को हराकर की थी। इसके बाद क्वॉर्टर फाइनल में ईरान के मुर्तजा चेका घियासी के खिलाफ अनुभव और कौशल का शानदार इस्तेमाल करते हुए जीत दर्ज कर सेमीफाइनल पहुंचे थे।
अपना पहला ओलंपिक खेल रही भारतीय पहलवान सीमा बिस्ला 50 किग्रा के पहले दौर में ट्यूनीशिया की सारा हमदी से 1-3 से हारने के बाद प्रतियोगिता से बाहर हो गई। पुरुषों की 4x400 मीटर रिले टीम में मोहम्मद अनस याहिया, टॉम नोह निर्मल, राजीव अरोकिया और अमोल जैकब की भारतीय चौकड़ी दूसरी हीट में 3 मिनट 00.25 सेकेंड के साथ चौथे और कुल नौवें स्थान पर रही। इस तरह वह आठ टीमों के फाइनल में जगह नहीं बना पायी।
इससे पहले राष्ट्रीय रिकार्डधारी प्रियंका गोस्वामी महिलाओं की 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा में 17वें और भावना जाट 32वें स्थान पर रहीं। गुरप्रीत सिंह पुरूषों की 50 किलोमीटर पैदल चाल पूरी नहीं कर सके और गर्मी तथा उमस के कारण ऐंठन की वजह से उन्होंने नाम वापस ले लिया।
वह 35 किमी की दूरी दो घंटे 55 मिनट 19 सेकंड में पूरी करके 51वें स्थान पर थे। इसके बाद वह अलग बैठ गए और मेडिकल टीम ने उनकी मदद की । इस तरह से भारतीय पैदल चाल खिलाड़ियों का अभियान निराशाजनक तरीके से समाप्त हुआ।
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देश के लिये दिन में शर्मसार होने वाली घटना भी सामने आयी जब पता चला कि भारतीय कुश्ती महासंघ खेल की विश्व संचालन संस्था यूनाईटेड विश्व कुश्ती (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) द्वारा प्रतिबंध लगने से बाल बाल बचा क्योंकि पहलवान दीपक पूनिया के विदेशी कोच मुराद गैदारोव रैफरी के साथ हाथापाई करने के लिये टोक्यो ओलंपिक से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद महासंघ ने उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया।