अभिनव बिंद्रा ने बताया, कहां से मिला ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का विश्वास
बीजिंग ओलंपिक में यह एयर राइफल निशानेबाज ओलंपिक में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाला पहला भारतीय बना।
मुंबई: अभिनव बिंद्रा का प्रदर्शन 2000 सिडनी ओलंपिक में भले ही भुलाने वाला रहा हो लेकिन उन्होंने सोमवार को कहा कि तब पहली बार ओलंपिक खेलों में खेलने से उनके अंदर विश्वास आया कि वह एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतेंगे। सिडनी खेलों के दौरान बिंद्रा सिर्फ 17 साल के थे। 8 साल बाद बीजिंग ओलंपिक में यह एयर राइफल निशानेबाज ओलंपिक में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाला पहला भारतीय बना।
बिंद्रा ने मुंबई में कहा, ‘मैं 5 ओलंपिक में खेला और सिडनी मेरे पसंदीदा खेल हैं। मैंने सिडनी का इतना लुत्फ क्यों उठाया, इसका कारण ऑस्ट्रेलिया के लोग हैं। मैं उन खेलों में 10वें या 11वें स्थान पर रहा। सिडनी में मेरे प्रदर्शन ने मुझे विश्वास दिलाया कि संभवत: एक दिन मैं ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत सकता हूं। 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में टॉप पर रहे 34 साल के बिंद्रा भारत के एकमात्र व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता हैं। बिंद्रा गोल्ड कोस्ट में 2018 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लांच की घोषणा के लिए टूरिज्म ऑस्ट्रेलिया और टूरिज्म ऐंड इवेंट्स क्वीन्सलैंड की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिरकत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों का अपना महत्व है। इस दिग्गज निशानेबाज ने कहा, ‘खिलाड़ी के करियर के राष्ट्रमंडल खेल महत्वपूर्ण मापदंड होते हैं। तीन बहु खेल प्रतियोगिताएं जिनमें हम हिस्सा लेते हैं- राष्ट्रमंडल, एशियाई और ओलंपिक खेल। प्रत्येक ओलंपिक खेलों की तैयारी की दिशा में कदम होता है और प्रत्येक महत्वपूर्ण है। प्रतिस्पर्धा का स्तर प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता अलग होता है लेकिन वे सभी महत्वपूर्ण हैं। मैंने राष्ट्रमंडल खेलों में 9 पदक जीते लेकिन अपना पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल पिछले खेलों 2014 में ग्लास्गो में जीता।’