नई दिल्ली| 18 बार के युगल ग्रैंड स्लैम विजेता भारत के अनुभवी टेनिस स्टार लिएंडर पेस ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय टेनिस खिलाड़ी बने थे। हालांकि पेस का ओलंपिक में पदक जीतने का सपना चार साल पहले बार्सिलोना में भी पूरा हो सकता था, लेकिन वहां उन्हें और रमेश कृष्णन की पुरुष युगल जोड़ी को जॉन बासिल फिटजगेराल्ड और टॉड एंड्रयू वुडब्रिज की आस्ट्रेलियाई जोड़ी से क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।
पेस ने एशियाई खेलो के स्वर्ण पदक विजेता स्क्वॉश खिलाड़ी सौरव घोषाल द्वारा आयोजित 'द फिनिश लाइन' के पांचवें एपिसोड में कहा, "जब रमेश कृष्णन और मैं, 1992 ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में हार गए थे और पदक जीतने से चूक गए थे तो मुझे लगा कि रमेश अब संन्यास लेने जा रहा है और 1996 के ओलंपिक तक नहीं खेलेंगे।"
उन्होंने कहा, "मुझे यह भी लगा कि यहां कोई ऐसा युवा नहीं था, जिसकी अटलांटा में पदक जीतने के लिए तैयारी पर्याप्त थी। 1992 में मैं केवल ओलंपिक पर ध्यान केंद्रित किए हुआ था और जब मैं पदक जीतने के करीब आया तो करीब दो घंटे और 45 मिनट तक चले क्वार्टर फाइनल मैच हारने के बाद मैं बेंच पर ही बैठा रहा।" टेनिस में युगल वर्ग के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक पेस ने कहा कि इस हार के बाद उन्होंने एकल प्रतियोगिताओं के लिए अभ्यास करना शुरू कर दिया था।
पेस ने कहा, "मैंने अपनी सोच को मजबूत किया और 1992 और 1996 के बीच एकल प्रतियोगिताओं के लिए अपनी शारीरिक ताकत और मानसिक योग्यता को बदलने का फैसला किया।" पेस आखिरकार 1996 ओलंपिक में ब्राजील के फर्नांडो मेलिगेनी को मात देकर कांस्य पदक के रूप में अपना ओलंपिक पदक जीतने में सफल रहे।