रानी के संघर्ष ने मेरी परिवार को गरीबी मुक्त करने की उम्मीद जगाई : राजविंदर कौर
युवा स्ट्राइकर राजविंदर कौर ने कहा कि उन्होंने कप्तान रानी के संघर्ष से प्रेरणा ली है और वह खेल की अपनी उपलब्धियों से अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
नई दिल्ली। भारत की सीनियर महिला हॉकी टीम में जगह मिलने का इंतजार कर रही युवा स्ट्राइकर राजविंदर कौर ने कहा कि उन्होंने कप्तान रानी के संघर्ष से प्रेरणा ली है और वह खेल की अपनी उपलब्धियों से अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालने के लिये प्रतिबद्ध हैं। पंजाब के एक छोटे से गांव में जन्मी कौर के पिता ऑटोरिक्शा चालक जबकि मां गृहणी हैं। ऐसे में उनके लिये जिंदगी कभी आसान नहीं रही। लेकिन इसमें तब बदलाव आया जब उनकी स्कूल श्री गुरू अर्जुन देव पब्लिक स्कूल की उनकी कुछ सीनियर ने उन्हें हॉकी अपनाने की सलाह दी।
सीनियर टीम की संभावित खिलाड़ियों में शामिल 21 वर्षीय कौर ने कहा, ‘‘मैं एथलीट बनना चाहती थी। मैं तेज भागती थी लेकिन जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ रही थी तब मेरी सीनियर ने मुझे हॉकी खेलने के लिये कहा और मैंने इसमें हाथ आजमाये।’’
कौर की तेजी और स्ट्राइकर के रूप में कौशल को देखकर 2015 में घरेलू टूर्नामेंटों के दौरान राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान उनकी तरफ गया। इसके तुरंत बाद उन्हें जूनियर राष्ट्रीय शिविर के लिये चुना गया और उन्हें 2016 में मलेशिया में अंडर-18 एशिया कप में खेलने का मौका मिला।
हॉकी इंडिया की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कौर ने कहा, ‘‘मुझे 2017 में सीनियर राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने का मौका मिला जहां मैंने कई शीर्ष खिलाड़ियों से बातचीत की।’’
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पंजाब में तरनतारन के मुगल चाक गांव की रहने वाली कौर ने कहा, ‘‘हर कोई मुश्किल परिस्थितियों से गुजरकर यहां तक पहुंचा था और प्रत्येक की निजी कहानी प्रेरणादायी थी लेकिन रानी जब युवा थी तब उनका संघर्ष और इसके बाद खेल में शिखर पर पहुंचने से मेरी उम्मीद जगी क्योंकि मैं भी उसी तरह की पृष्ठभूमि से आयी हूं और मुझे भी उम्मीद है कि मैं हॉकी में अच्छा प्रदर्शन करके अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकाल सकती हूं।’’
रानी के पिता रिक्शाचालक थे लेकिन उन्होंने तमाम परिस्थितियों के बावजूद 15 साल की उम्र में राष्ट्रीय टीम में जगह बनायी और बाद में टीम की कप्तान बनी। कौर तीन बहन भाईयों में सबसे बड़ी है। वह स्ट्राइकर हैं जो जरूरत पड़ने पर मध्यपंक्ति में भी खेलती हैं।
उन्हें 2017 से सीनियर राष्ट्रीय टीम के संभावित खिलाड़ियों में जगह मिल रही है लेकिन अब भी उन्हें अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच का इंतजार है। उन्होंने कहा, ‘‘जब मुझे 18 सदस्यीय टीम में अपना नाम नहीं दिखता है तो मुझे भी निराशा होती है लेकिन मैं जानती हूं कि मेरे पास अभी बहुत समय है तथा मुख्य कोच सोर्ड ने सकारात्मक तौर पर मुझे मेरी कमजोरियां बतायी और इन विभागों में सुधार के लिये प्रेरित किया।’’
कौर ने कहा, ‘‘मैं जानती हूं कि मेरे पास कौशल और तेजी है। मुझे अपनी फिटनेस पर काम करने की जरूरत है जो कि मेरा कमजोर पक्ष है। मैं जूनियर दिनों से स्ट्राइकर के रूप में खेली हूं लेकिन मुझे मध्यपंक्ति में भी खेलने की भी जरूरत है।’’