गोल्ड कोस्ट (ऑस्ट्रेलिया): ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चार अप्रैल से शुरू हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों के 21वें संस्करण के उद्घाटन समारोह में भारतीय दल की ध्वजवाहक बनकर नजर आने वालीं रियो ओलम्पिक की रजत पदक विजेता पी.वी. सिंधू बैडमिंटन प्रतियोगिता में कड़ी चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। भारत में भले ही बैडमिंटन की लोकप्रियता क्रिकेट से कम हो, लेकिन देश के 1.3 अरब लोग इस खेल को देखते हैं और सिंधू का समर्थन करते हैं। यही कारण है कि सिंधू पर लगातार पदक जीतने का दबाव रहता है और वह हर बड़े प्लेटफार्म पर देश के लिए सम्मान हासिल करने का प्रयास करती हैं तथा काफी हद तक इसमें सफल भी रहती हैं।
हाल ही के वर्षो में सिंधू पहली ऐसी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनी हैं, जिन्होंने तीन विश्व चैम्पियनशिप पदक अपने नाम किए हैं। वह पहली भारतीय हैं, जो विश्व चैम्पियनशिप और ओलम्पिक खेलों के फाइनल तक पहुंची हैं। इसके अलावा, वह ओलम्पिक में पदक जीतने वाली सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी हैं।
राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छे प्रदर्शन के दबाव के बारे में सिंधू ने कहा, "दबाव और जिम्मेदारी हमेशा रहती हैं, लेकिन आपको केवल अपना मैच खेलना होता है और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है। मैं जानती हूं कि लोगों की आपसे बहुत आशाएं होती हैं, लेकिन इन आशाओं को बनाए रखना उतना भी मुश्किल नहीं होता।"
साल 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में सिंधू सेमीफाइनल तक का सफर ही तय कर पाई थीं। उन्हें कनाडा की मिशेल ली ने मात दी थी। ली ने बीते दिनों कहा था कि वह खिताब की दावेदार नहीं हैं क्योंकि इस साल महिला एकल में भारत की चुनौती काफी दमदार है।
ऐसे खिलाड़ियों के खिलाफ खेलने के बारे में सिंधू ने कहा, "वे अच्छी खिलाड़ी हैं। उनके खिलाफ खेलना आसान नहीं होता, लेकिन आपको रणनीति अपनानी होती है। आप आसानी से खेलकर आसान जीत हासिल नहीं कर सकते।"