पांच बार विश्व रिकॉर्ड तोड़कर टोक्यो पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद भारतीय पैरा भालाफेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल ने कहा कि यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं था और वह इससे बेहतर करके दिखायेंगे। कुश्ती से भालाफेंक में आये सुमित ने पुरूषों की एफ64 स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर भारत की झोली में दूसरा पीला तमगा डाला।
उन्होंने कहा, "यह मेरा पहला पैरालम्पिक था और प्रतिस्पर्धा कड़ी होने के कारण मैं थोड़ा नर्वस था। मैं सोच रहा था कि 70 मीटर से अधिक का थ्रो जायेगा। शाायद मैं 75 मीटर भी कर सकता था। यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं था लेकिन विश्व रिकॉर्ड तोड़कर मैं खुश हूं।"
मोटरसाइकिल दुर्घटना में बायां पैर गंवाने से पहले सुमित एक पहलवान थे। उन्होंने कहा, "मैं बहुत अच्छा पहलवान नहीं था। मेरे इलाके में परिवार आपको पहलवानी में उतरने के लिये मजबूर करता है। मैंने सात आठ साल की उम्र में ही कुश्ती खेलना शुरू का दिया था और चार पांच साल तक खेलता रहा। मैं इतना अच्छा पहलवान नहीं था।"
टोक्यो पैरालंपिक : जैवलिन थ्रो में लगातार 2 बार वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ते हुए सुमित ने दिलाया दूसरा गोल्ड
उन्होंने कहा, "हादसे के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। मैं 2015 में लोगों से मिलने स्टेडियम गया तो मैने पैरा एथलीटों को देखा। उन्होंने कहा कि तुम्हारी कद काठी अच्छी है तो अगला पैरालम्पिक खेल सकते हो। कौन जानता है कि चैम्पियन बन जाओ। और ऐसा ही हुआ। यह सपना सच होने जैसा है। मैं अपनी भावनायें व्यक्त नहीं कर पा रहा हूं।"