भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व डिफेंडर अरूण घोष ने खुलासा किया है कि 1962 में जकार्ता एशियाई खेलों के दौरान फाइनल मैच में पाकिस्तान की हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए भारतीय फुटबॉल टीम की हौसलाअफजाई की थी। 58 साल पहले आज ही के दिन चार सितंबर 1962 को एशियाई खेलों के फाइनल में भारतीय फुटबाल टीम ने दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था।
घोष ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ की वेबसाइट के लिए लिखा, " जब मैं चार सितंबर 1962 की वो शाम याद करता हूं तो मेरे अंदर रोमांच पैदा हो जाता है। जकार्ता में सेनयान स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था और एक लाख के करीबी इंडोनेशियाई दर्शक कोरियाई टीम का समर्थन कर रहे थे।"
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उन्होंने कहा, " लेकिन हमारे भी समर्थक थे। क्या कोई अनुमान लगा सकता है? यह हालांकि हैरानी भरा होगा, पाकिस्तान हॉकी टीम ने हमारा हौसला बढ़ाया। यह अविश्वसनीय है, लेकिन सच है।"
भारत के लिए फाइनल में पीके बनर्जी और जरनैल सिंह ने गोल दागे थे।
घोष ने कहा, " जब हम 2-0 से आगे हो गए तो स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया। हालांकि कोरिया ने अंत में एक गोल कर लिया, वर्ना उनके गोलकीपर पीटर थांगराज को अंत तक खतरा बना रहा। भारतीय दल के लिये इतना द्वेष था कि कोई भी मैच के बाद हमें बधाई देने नहीं आया। लेकिन वो रात भारतीय फुटबॉल की रात थी।"