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मेरा हर पदक संघर्ष की दास्तान है: मेरीकॉम

एम सी मेरीकॉम के अनुसार उनका हर पदक संघर्ष की दास्तान है लेकिन एशियाई चैम्पियनशिप का पांचवां गोल्ड मेडल इसलिये भी खास है क्योंकि पिछले एक साल में रिंग के बाहर कई भूमिकायें निभाने के बावजूद उन्हें यह हासिल हुआ है।

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नई दिल्ली: एम सी मेरीकॉम के अनुसार उनका हर पदक संघर्ष की दास्तान है लेकिन एशियाई चैम्पियनशिप का पांचवां गोल्ड मेडल इसलिये भी खास है क्योंकि पिछले एक साल में रिंग के बाहर कई भूमिकायें निभाने के बावजूद उन्हें यह हासिल हुआ है।

पांच बार की विश्व चैम्पियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मेरीकॉम ने आज इतिहास रच दिया जो एशियाई चैम्पियनशिप में पांच पदक जीतने वाली पहली मुक्केबाज बन गई। मेरीकॉम ने कहा, ''यह पदक बहुत खास है। मेरे सभी पदकों के पीछे संघर्ष की कहानियां रही है। हर पदक के पीछे कोई नया संघर्ष रहा है। मुझे उम्मीद है कि सांसद बनने के बाद मिला यह पदक मेरी साख में बढोतरी करेगा। मेरा कद और बढ़ेगा।''

शीर्ष स्तर की मुक्केबाज होने के साथ 35 बरस की मेरीकाम राज्यसभा सांसद और भारत में मुक्केबाजी की सरकारी पर्यवेक्षक भी है। इसके अलावा वह तीन बच्चों की मां है। इम्फाल में उनकी अकादमी भी है जिसे वह अपने पति ओनलेर कोम के साथ मिलकर चलाती हैं।

उन्होंने कहा, ''मैं सक्रिय सांसद हूं। नियमित रूप से संसद जा रही हूं और चैम्पियनशिप के लिये भी कड़ी तैयारी की। चूंकि मैं सरकारी पर्यवेक्षक हूं तो सारी बैठकों में भी भाग लेना होता है। उम्मीद है कि लोग समझेंगे कि यह कितना कठिन है।''

मेरीकाम ने कहा, ''मैं कई भूमिकायें निभा रही हूं। मैं एक मां भी हूं जिसे तीन बच्चों का ध्यान रखना होता है। मुझे पता नहीं कि मैं कैसे सब कुछ कर पाती हूं।''

मेरीकॉम भारत ही नहीं बल्कि विश्व में महिला मुक्केबाजी का चेहरा रही है जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने उसे 2010 में‘मैग्नीफिसेंट मेरी’का उपनाम दिया। मेरीकॉम ने कहा, ''एशियाई चैम्पियनशिप के बाद मुझे आईओसी एथलीट फोरम में भाग लेने लुसाने जाना है। अब मुझे यात्राओं से नफरत हो गई है। इससे मैं थक जाती हूं पर आप जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकते।''