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भारत रत्न के लिये मेजर ध्यानचंद की अनदेखी से हॉकी के दिग्गज दुखी

 एक बार फिर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिये मेजर ध्यानचंद की अनदेखी होने से दुखी हॉकी दिग्गजों ने कहा है कि भारत को खेल मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले खेल और खिलाड़ी को यूं नकारना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है।

Major Dhyan Chand- India TV Hindi Image Source : PTI Major Dhyan Chand

नई दिल्ली। एक बार फिर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिये मेजर ध्यानचंद की अनदेखी होने से दुखी हॉकी दिग्गजों ने कहा है कि भारत को खेल मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले खेल और खिलाड़ी को यूं नकारना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। यूपीए सरकार ने 2014 में भारत रत्न के लिये खेल क्षेत्र को भी विभिन्न श्रेणियों में शामिल किया। खेलों में हालांकि पहला और अब तक का एकमात्र भारत रत्न चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को दिया गया है।
 
ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने कहा कि उनके परिवार ने अब उम्मीद ही छोड़ दी है। उन्होंने भाषा से कहा,‘‘लगता है कि कोई भी सरकार उनके योगदान को समझ ही नहीं पा रही है। अब इतने साल के इंतजार के बाद हमारी उम्मीद टूटती जा रही है।’’
 
इस साल जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख, मशहूर संगीतकार भूपेन हजारिका को मरणोपरांत और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है। तीन ओलंपिक (1928, 1932 और 1936) में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद के नाम की अनुशंसा यूपीए सरकार में खेलमंत्री रहे अजय माकन और मौजूदा भाजपा सरकार में खेलमंत्री रहे विजय गोयल ने 2017 में की थी। इसके अलावा पूर्व ओलंपियनों ने भी 2016 में उन्हें भारत रत्न से नवाजने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।
 
भारत की 1975 विश्व कप जीत के सूत्रधारों में रहे अशोक ने कहा,‘‘भारत रत्न क्षेत्रवाद या राजनीति से परे होना चाहिये। उनकी अनदेखी नहीं होनी चाहिये जिन्होंने देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया है।’’
 
वहीं ओलंपियन असलम शेर खान ने कहा कि खेलों में सबसे पहले हॉकी और हॉकी में भी सबसे पहले ध्यानचंद को यह पुरस्कार मिलना चाहिये था। उन्होंने कहा,‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस खेल ने आजादी से पहले और बाद में भी भारत को पहचान दिलाई, उसे और उसके सबसे बड़े खिलाड़ी को इस सम्मान के काबिल नहीं समझा जा रहा है। सरकार कोई भी हो, उन्हें यह सम्मान नहीं दे रही है।’’
 
उन्होंने कहा,‘‘हमारे खेलमंत्री ओलंपिक खेल में रजत पदक विजेता रहे हैं और ओलंपिक का नाम आते ही हॉकी के आठ स्वर्ण पदक हमारा सीना चौड़ा कर देते हैं। उसके बावजूद हमें ध्यानचंद के लिये पुरस्कार की मांग करनी पड़ रही है जबकि यह तो उन्हें खुद ही मिल जाना चाहिये था।’’
 
ओडिशा से पूर्व सांसद और हॉकी कप्तान रहे दिलीप टिर्की ने कहा,‘‘बहुत दुख होता है कि हमारे महान खिलाड़ी के योगदान को भुला दिया गया। सिर्फ हॉकी जगत ही नहीं बल्कि पूरे देश की यह मांग है कि उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिये।’’
 
उन्होंने कहा,‘‘अभी तक ध्यानचंद के नाम पर ही विचार नहीं किया गया जबकि हॉकी ने बलबीर सिंह सीनियर, केडी सिंह बाबू जैसे खिलाड़ी भी दिये हैं जो भारत रत्न के दावेदार हो सकते हैं।’’
 
इससे पहले 2011 में 80 से अधिक सांसदों ने ध्यानचंद को यह सम्मान देने की मांग की थी।