लंदन। मैनचेस्टर सिटी ने रविवार रात यहां पेनाल्टी शूटआउट तक गए एक रोमांचक फाइनल मुकाबले में चेल्सी को 4-3 (0-0) से मात देकर लगातार दूसरी बार ईएफएल कप का खिताब अपने नाम किया। सिटी ने पिछले वर्ष भी इस टूर्नामेंट का खिताब जीता था। फाइनल में उसने लंदन स्थित क्लब आर्सेनल को हराया था।
बीबीसी के अनुसार, चेल्सी के खिलाफ सिटी की टीम निर्धारित समय और अतिरिक्त समय में गोल नहीं कर पाई जिसके कारण विजेता का निर्णय पेनाल्टी शूटआउट के जरिए हुआ।
सिटी ने मैच में शुरुआत से ही गेंद पर नियंत्रण रखने पर विश्वास दिखाया। चेल्सी के खिलाड़ियों को पहले हाफ में अधिक समय तक अपने 18 गज के बॉक्स के पास डिफेंड करना पड़ना, उसने एक-दो काउंटर अटैक भी किए लेकिन वो प्रभावी साबित नहीं हो पाए।
चेल्सी ने इसके बावजूद पेप गॉर्डियोला की टीम को बढ़त नहीं बनाने दी। दूसरे हाफ में दोनों टीमों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली लेकिन गोल करने के अधिक मौके चेल्सी ने बनाए।
सिटी ने इस हाफ में भी अधिक बाल पोजेशन रखते हुए अटैक करने का प्रयास किया। चेल्सी के खिलाड़ियों ने भी हार नहीं मानी और लगातार काउंटर अटैक कर विपक्षी टीम के डिफेंस को परेशान किया।
फारवर्ड खिलाड़ी ईडन हैजार्ड के शानदार खेल ने चेल्सी को लगभग बढ़त दिला दी लेकिन फ्रेंच मिडफील्डर एंगोलो कान्ते गेंद बॉक्स के अंदर से गेंद को गोल में डालने में कामयाब नहीं हो पाए।
निर्धारित समय की समाप्ति से पहले स्ट्राइकर सर्जियो अगुएरो को भी गोल करने का मौका मिला। हालांकि, वह भी चेल्सी के गोलकीपर केपा को भेद नहीं पाए।
अतिरिक्त समय में भले ही कोई गोल नहीं हो पाया लेकिन चेल्सी के कोच मॉरिजियो सारी और केपा के बीच हुए विवाद ने सुर्खियां बटोरीं। केपा को मुकाबले के दौरान चोट लगी जिसके कारण सारी ने उन्हें सब्स्टीट्यूट करने का फैसला किया। उन्होंने केपा को मैदान के बाहर बुलाया लेकिन गोलकीपर बाहर नहीं गया जिससे कोच बहुत गुस्से में नजर आए।
मैच के बाद हालांकि, सारी ने बताया कि उनके और खिलाड़ी के बीच गलतफहमी हुई जिसके कारण यह पूरा प्रकरण हुआ। पेनाल्टी शूटआउट में सिटी के चार खिलाड़ी गेंद को गोल में डालने में कमयाब रहे जबकि चेल्सी के तीन ही खिलाड़ी ऐसा कर पाए।