चयन नीति में हेराफेरी के कारण एशियाई स्वर्ण पदक विजेता राष्ट्रीय टीम से बाहर रहा: जसपाल
एशियाई खेलों से पहले ट्रायल्स में सौरव ने जीतू राय से बेहतर स्कोर किया था।
नयी दिल्ली: भारतीय जूनियर निशानेबाजी टीम के कोच जसपाल राणा ने दावा किया कि ‘दूसरे खिलाड़ी को फायदा पहुंचाने’ के लिये चयन नीति में किये गये बदलाव के कारण 16 साल के एशियाई स्वर्ण पदक विजेता सौरव चौधरी को राष्ट्रीय टीम से एक साल तक बाहर रहना पड़ा। सौरव मेरठ के कलिना गांव के किसान परिवार से हैं जिन्होंने हाल ही में इंडोनेशिया में हुये एशियाई खेलों में कई बार के विश्व और ओलंपिक चैम्पियन निशानेबाजों को पछाड़कर स्वर्ण पदक हासिल किया था। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले वह देश के सबसे युवा निशानेबाज हैं।
जसपाल ने कहा,‘‘वह एक साल तक राष्ट्रीय टीम से बाहर रहा क्योंकि एनआरएआई (भारतीय राष्ट्रीय राइफल महासंघ) के अंदर और बाहर कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा चयन नीति में बदलाव कर दिया गया था।’’
एशियाई खेलों में चार बार स्वर्ण पदक जीतने वाले इस निशानेबाज ने कहा,‘‘सीनियर वर्ग में भी सौरव देश का शीर्ष निशानेबाज था। वह जीतू राय से भी आगे था जिसका समर्थन एक एनजीओ कर रहा था। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘सौरव को एक ट्रायल से यह कहते हुए डिस्क्वालीफाइ कर दिया गया था कि उनका ‘ग्रिप ठीक नहीं हैं’। इस मामले में मुझे दखल देना पड़ा और कुछ कोचों से बात करने के बाद उसका डिस्क्वालीफिकेशन रद्द किया गया।’’
एशियाई खेलों से पहले ट्रायल्स में सौरव ने जीतू से बेहतर स्कोर किया था। विश्व चैम्पियन में रजत पदक जीतने वाले जीतू राय ने लय खोने से पहले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक हासिल किये हैं, ओलंपिक गोल्ड कोस्ट उनका प्रायोजक है। जसपाल यह नहीं चाहते हैं कि सफलता के बाद पैसे और शोहरत से उसके खेल पर कोई असर पड़े।
उन्होंने कहा,‘‘मैं निराश नहीं हूं लेकिन इस बारे में सोचकर परेशानी और चिंता होती है। उन्हें (युवा निशानेबाजों को) अभी लंबा सफर तय करना है और असफलता जैसे जीवन के कड़वे अनुभवों से गुजरना है। इससे वे और मजबूत होंगे। इन सभी निशानेबाजों और उनके हित धारकों को यह सुनिश्चित करना होगा की उनका ध्यान नहीं भटके।’’
जसपाल भारत के सर्वश्रेष्ठ निशानेबाजों में से एक रहे है और उन्होंने मनु भाकर, अनीश भानवाला और सौरव को विश्वस्तरीय निशानेबाज बनाने में अहम भूमिका निभाई है।