आईओसी प्रमुख का बड़ा बयान, कहा टोक्यो ओलंपिक के लिये 2021 आखिरी विकल्प
उन्होंने कहा,‘‘आप हर साल पूरी दुनिया का खेल कैलेंडर नहीं बदल सकते। खिलाड़ियों को अनिश्चितता की स्थिति में नहीं रख सकते।’’
टोक्यो। कोरोनावायरस के कहर की वजह से टोक्यो ओलंपिक 2020 अगले साल आयोजित करने का फैसला लिया गाय है। भले ही इसे 1 साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया है लेकिन खेलों के महाकुंभ पर अभी भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थामस बाक ने कहा है कि टोक्यो ओलंपिक आयोजित कराने के लिये 2021 आखिरी विकल्प है क्योंकि इसे बार बार स्थगित नहीं किया जा सकता।
बाक ने बीबीसी से कहा कि वह जापान की इस बात से सहमत है कि अगर अगले साल तक कोरोना वायरस महामारी पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है तो खेलों को रद्द करना पड़ेगा। मार्च में तोक्यो 2020 खेलों को 23 जुलाई 2021 तक स्थगित कर दिया गया था।
बाक ने कहा,‘‘ईमानदारी से कहूं तो मैं जापान की स्थिति समझता हूं क्योंकि आप आयोजन समिति में तीन या पांच हजार लोगों को लगातार नियुक्ति पर नहीं रख सकते।’’
उन्होंने कहा,‘‘आप हर साल पूरी दुनिया का खेल कैलेंडर नहीं बदल सकते। खिलाड़ियों को अनिश्चितता की स्थिति में नहीं रख सकते।’’
ये भी पढ़ें - मुंबई के रिटायर अंपायरों की मदद के लिए आगे आया क्रिकेटर्स फाउंडेशन
बता दें, इससे पहले टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति के अध्यक्ष योशिरो मोरी भी कह चुके हैं अगर अगले साल ओलंपिक नहीं हुआ तो इसे रद्द कर दिया जाएगा।
जापान के खेल दैनिक ‘निक्कन स्पोर्ट्स’ से साक्षात्कार के दौरान जब मोरी से पूछा गया कि अगर महामारी का खतरा अगले साल भी बना रहता है तो क्या खेलों को 2022 तक टाला जा सकता है, उन्होंने कहा, ‘‘नहीं। अगर ऐसा होता है तो फिर इन्हें रद्द कर दिया जाएगा। ’’
मोरी ने कहा कि इससे पहले युद्ध के समय ही खेलों को रद्द किया गया था। उन्होंने कोरोना वायरस से लड़ाई को ‘एक अदृश्य दुश्मन के खिलाफ जंग’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर वायरस पर नियंत्रण पा लिया जाता है तो हम अगली गर्मियों में ओलंपिक का आयोजन करेंगे।’’
गौरतलब है कि टोक्यो ओलंपिक का आगाज अब 23 जुलाई 2021 से होगा लेकिन टोक्यो 2020 के अध्यक्ष योशिरो मोरी का मानना है कि अब इस दोबारा स्थगित करना मुमकिन नहीं होगा। कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में खेल गतिविधियां ठप पड़ी हुई है जिससे खेल संस्थाओं का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। इस आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए खिलाड़ियों और स्टॉफ के वेतन में कटौती की जा रही है।