नई दिल्ली। डेविस कप प्रारूप में एक और बदलाव करते हुए आईटीएफ ने क्षेत्रीय स्तर की स्पर्धाओं के लिये ग्रुप वन और टू खत्म कर दिया है जिससे भारत के लिये क्वालीफायर का रास्ता और कठिन हो गया है।
अगले साल से भारतीय टीम को यूरोप, दक्षिण और उत्तर अमेरिका जैसी टीमों से लोहा लेना होगा। अभी तक अमेरिका, एशिया ओशियाना और यूरोप अफ्रीका में चार ग्रुप वन, टू, थ्री और फोर होते थे। नये प्रारूप के तहत ग्रुप वन और टू 2020 से नहीं होगा। इसकी बजाय 24 टीमों का विश्व ग्रुप वन और 24 टीमों का विश्व ग्रुप टू बनाया जायेगा।
भारत के गैर खिलाड़ी कप्तान महेश भूपति ने इस बारे में कहा, ‘‘यह रोचक है लेकिन हमारे लिये कठिन होगा। हम एशिया में प्रभावी रहे हैं लेकिन अब हर मैच कठिन होगा।’’ अगले साल क्वालीफायर में 12 हारने वाली टीमें और विश्व ग्रुप प्लेआफ वन में 12 विजेता टीमें विश्व ग्रुप वन बनायेंगी। विश्व ग्रुप वन प्लेआफ में से हारने वाली 12 टीमें और विश्व ग्रुप टू प्लेआफ की 12 विजयी टीमें विश्व ग्रुप टू बनायेंगी।
प्लेआफ मार्च 2020 में क्वालीफायर के साथ खेले जायेंगे। इससे पहले आईटीएफ ने डेविस कप में साल के आखिर में होने वाला फाइनल खत्म कर दिया था जिसमें 18 टीमें खिताब के लिये एक सप्ताह के भीतर मुकाबला करती थी। भारत लगातार विश्व ग्रुप प्लेआफ में पहुंचता रहा है। मौजूदा प्रारूप में उसका सामना कोरिया, न्यूजीलैंड, चीन, पाकिस्तान, चीनी ताइपे, लेबनान और उजबेकिस्तान जैसी टीमों से होता है लेकिन अगले साल से चुनौती कठिन होगी।
यह पूछने पर कि क्या इस तरह के बदलाव की जरूरत थी, भूपति ने कहा, ‘‘हमें दो साल इंतजार करना होगा कि खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया कैसी रहती है। देखना होगा कि यह काम करता है या नहीं।’’ डेविस कप ग्रुप थ्री और फोर में कोई बदलाव नहीं होगा।