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Hindi News खेल अन्य खेल भारतीय बैडमिंटन टीम की विदेशी कोच किम जी ह्यून ने सिंधु की तारीफों में बांधे पुल, कही ये बात

भारतीय बैडमिंटन टीम की विदेशी कोच किम जी ह्यून ने सिंधु की तारीफों में बांधे पुल, कही ये बात

उन्होंने कहा, "अगर मैं उनके खिलाफ खेलती तो मैं भी इसी तरह से खेलती। जीत के बाद हम सभी खुश थे क्योंकि हमने बड़ा काम किया था।"  

पीवी सिंधू- India TV Hindi Image Source : GETTY IMAGE पीवी सिंधू

नई दिल्ली। भारतीय बैडमिंटन टीम की विदेशी कोच किम जी ह्यून ने कहा है कि वह पी.वी. सिंधु की हालिया विश्व चैम्पियनशिप की जीत से काफी खुश हैं। उन्होंने इस मैच को रणनीति का सटिक क्रियान्वान बताया है। सिंधु ने स्विट्जरलैंड के बासेल में खेली गई विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप के फाइनल में जापान की नाओमी ओकुहारा को मात दे पहली बार यह खिताब जीत इतिहास रचा था। 

विश्व बैडमिटन महासंघ (बीडब्ल्यूएफ) ने ह्यून के हवाले से लिखा है, "यह सटीक क्रियान्वान था। वह जिस तरह से खेलीं उससे मैं काफी खुश हूं।"

उन्होंने कहा, "अगर मैं उनके खिलाफ खेलती तो मैं भी इसी तरह से खेलती। जीत के बाद हम सभी खुश थे क्योंकि हमने बड़ा काम किया था।"

ह्यून को सिंधु के खेल को निखारने के लिए नियुक्य किया गया है। वह दक्षिण कोरिया की कोच भी रह चुकी हैं। उन पर सिंधु को विश्व चैम्पियन और ओलम्पिक चैम्पियन बनाने की जिम्मेदारी है।

बीते साल एशियाई खेलों में खराब प्रदर्शन के कारण ह्यून को कोरिया बैडमिंटन संघ ने कोच पद से हटा दिया था। 

ह्यून ने कहा, "मुझे नौकरी का प्रस्ताव मिला और मैंने इस अपनाने का फैसला किया। पांच महीने बाद हमारे पास विश्व चैम्पियन है। उनकी व्यक्तिगत तौर पर ट्रेनिंग ज्यादा चल रही है। हमने उनकी नेट स्कील्स और डिसेप्श्न पर घंटों काम किया है। हर कोई जानता है कि वह महान खिलाड़ी हैं, लेकिन वो एक ही तरह की चीजें लगातार कई मैचों में कर रही थीं।"

सिंधु ने भी ह्यून की तारीफ की है और कहा है, "मेरे लिए यह अच्छा रहा है। किम के साथ मेरा जो प्रदर्शन रहा उससे मैं काफी खुश हूं। मेरा उनके साथ तालमेल अच्छा है।"

रियो ओलम्पिक की रजत पदक विजेता ने कहा, "उन्होंने मेरे अंदर कुछ गलतियां बताईं जो मैं नेट पर या और जगह कर रही थी। मुझे उन सब पर सुधार करना था। उनकी मानसिकता और सोच अलग है और वह मुझे काफी ज्यादा प्रेरित करती हैं। हर कोच की अपनी एक अलग नीति होती है। मैं उनके साथ जल्दी सामंजस्य बैठाने में सफल रही। वह ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट के बाद हमारे साथ आईं इसलिए उनके साथ थोड़ा समय लगा। अब हम एक दूसरे को अच्छे से समझते हैं।"