भारत ने पैरालंपिक खेलों में पहली बार छुआ दहाई का आंकड़ा, इन खिलाड़ियों पर है पूरे देश को गर्व
1968 में पहली बार भारत ने पैरालंपिक खेलों में अपना कदम रखा था, मगर पहले मेडल का इंतजार 4 साल तक करना पड़ा था। 1972 में मुरलीकांत पेटकरी ने पुरुषों की 50मी फ़्रीस्टाइल 3 स्वीमिंग में गोल्ड मेडल जीतकर भारत को पैरालंपिक में पदक जीताया था।
टोक्यो पैरालंपिक का आज 7वां दिन है और भारत ने 2 गोल्ड, 5 सिलवर और 3 ब्रॉन्ज मेडल के साथ कुल 10 पदक अपने नाम कर लिए हैं। पैरालंपिक के इतिहास में भारत पहली बार दहाई का आंकड़ा छूने में कामयाब रहा है। इससे पहले भारत का बेस्ट प्रदर्शन 1984 और 2016 में रहा था दोनों ही बार भारत 4-4 मेडल जीतने में सफल रहा था।
1968 में पहली बार भारत ने पैरालंपिक खेलों में अपना कदम रखा था, मगर पहले मेडल का इंतजार 4 साल तक करना पड़ा था। 1972 में मुरलीकांत पेटकरी ने पुरुषों की 50मी फ़्रीस्टाइल 3 स्वीमिंग में गोल्ड मेडल जीतकर भारत को पैरालंपिक में पदक जीताया था। इसके बाद भारत ने 1984 में 4, 2004 में 2, 2012 में 1 और 2016 में चार मेडल जीते थे। मगर इस साल टोक्यो पैरालंपिक में 54 खिलाड़ियों का भारत का जो जत्था गया है उसने इतिहास रच दिया है।
भाविनाबेन पटेल (रजत पदक)
भाविनाबेन टेबल टेनिस क्लास 4 स्पर्धा के महिला एकल फाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की झाउ यिंग के खिलाफ 0-3 से शिकस्त का सामना करना पड़ा लेकिन वह एतिहासिक रजत पदक के साथ पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनने में सफल रहीं।
निषाद कुमार (रजत पदक)
निषाद कुमार ने पुरूषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में एशियाई रिकार्ड के साथ रजत पदक जीता। विनोद कुमार ने भी पुरुषों के चक्का फेंक की एफ52 स्पर्धा में एशियाई रिक\र्ड बनाया और कांस्य पदक अपने नाम किया। निषाद कुमार ने 2.06 मीटर की कूद लगाकर पदक जीता।
अवनि लेखरा (स्वर्ण पदक)
अवनि लेखरा ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। अवनि ने फाइनल में 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकार्ड की बराबरी की और पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने चीन की झांग कुइपिंग (248.9 अंक) को पीछे छोड़ा। यूक्रेन की इरियाना शेतनिक (227.5) ने कांस्य पदक जीता। अवनि पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं।
योगेश कथूनिया (रजत पदक)
योगेश कथूनिया ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में पुरुषों की चक्का फेंक स्पर्धा के एफ56 वर्ग में इस सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता। आठ साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले योगेश ने अपने छठे और अंतिम प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया।
देवेंद्र झाझरिया (रजत पदक)
देवेंद्र झांझरिया ने टोक्यो पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए भाला फेंक एफ-46 वर्ग में रजत पदक अपने नाम किया। दो बार पैरालंपिक के स्वर्ण पदक विजेता देवेन्द्र ने 64.35 मीटर के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। देवेन्द्र का यह स्कोर उनका निजी बेस्ट स्कोर रहा।
सुंदर सिंह गुर्जर (कांस्य पदक)
सुंदर सिंह गुर्जर देवेंद्र झांझरिया के साथ भाला फेंक एफ-46 वर्ग कांस्य पदक अपने नाम किया। सुंदर ने अपने सीजन का बेस्ट प्रदर्शन करते हुए 64.01 का स्कोर कर तीसरा स्थान हासिल किया।
सुमित आंतिल (स्वर्ण पदक)
सुमित आंतिल ने भाला फेंक के F42 इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। सुमित ने तीन बार वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। सुमित का बेस्ट थ्रो 5वें प्रयास में आया जिसमें उन्होंने 68.55 मीटर का थ्रो फेंका। सुमित ने अपने पहले थ्रो में 66.95 मीटर की दूसरी तय करते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा। दूसरे प्रयास में उन्होंने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 68.08 मीटर की दूरी तय की। पांचवें प्रयास में उन्होंने इतिहास रचा और 68.55 मीटर का थ्रो कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया।
सिंहराज अधाना (कांस्य पदक)
निशानेबाज सिंहराज अडाना ने पैरालंपिक खेलों में पी1 पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। अडाना ने कुल 216.8 अंक बनाकर तीसरा स्थान हासिल किया। उन्होंने छठे स्थान पर रहकर आठ निशानेबाजों के फाइनल में जगह बनायी थी।
मरियप्पन थंगावेलु (रजत पदक)
गत चैंपियन मरियप्पन थंगावेलु ने पुरुष ऊंची कूद टी42 स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया। मरियप्पन ने 1.86 मीटर के प्रयास के साथ यह पदक जीता।
शरद कुमार (कांस्य पदक)
पुरुष ऊंची कूद टी42 स्पर्धा में ही मरियप्पन थंगावेलु के साथ हिस्सा शरद कुमार ने भी लिया, वह 1.83 मीटर के प्रयास के साथ तीसरे स्थान पर रहे और भारत की झोली में उन्होंने कांस्य पदक डाला।