विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में एक बार फिर रही भारत की झोली खाली
बीते कई सालों की तरह इस साल भी भारत की झोली खाली रही। अगले साल टोक्यो में ओलंपिक खेल होने हैं और इस लिहाज से यह वैश्विक टूर्नामेंट ओलंपिक क्वालीफायर भी था।
विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप-2019 समाप्त हो चुका है। बीते कई सालों की तरह इस साल भी भारत की झोली खाली रही। अगले साल टोक्यो में ओलंपिक खेल होने हैं और इस लिहाज से यह वैश्विक टूर्नामेंट ओलंपिक क्वालीफायर भी था, तो भारत की ओर से दो एथलीटों ने ओलंपिक कोटा हासिल किया। यही भारत की एकमात्र उपलब्धि रही। विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अभी तक के इतिहास में भारत के हिस्से सिर्फ एक पदक है, जो उसे अंजू बॉबी जॉर्ज ने लंबी कूद में कांसे के रूप में 2003 में दिलाया था।
हां, एक बड़ी निराशा भारत की शीर्ष फर्राटा धाविका दुती चंद की असफलता रही। दुती ने यूनिवर्सिटी खेलों में स्वर्ण जीता था और उम्मीद थी कि यह फर्राटा धाविका 100 मीटर में विश्व चैम्पियनशिप में भारत की झोली में पदक डाल सकती हैं। दुती हालांकि असफल रहीं।
जो चमके वो तीन सितारे थे। अबिनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाई और ओलम्पिक कोटा हासिल किया। अबिनाश का फाइनल में जाना भी हालांकि नाटकीय रहा। हीट में विफल रहने वाले अबिनाश को बीच रेस में रुकावट का सामना करना पड़ा था जिसके बाद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने अपील की थी जिसे स्वीकार कर लिया गया था। जांच में एएफआई के दावे को सही पाया गया था और अबिनाश को फाइनल खेलने का मौका मिला था।
फाइनल में अबिनाश 13वें स्थान पर रहकर पदक तो नहीं ला सके लेकिन देश को ओलम्पिक कोटा दिलाने में सफल रहे थे।
इसके अलावा भारत ने मिश्रित रिले चार गुणा 400 के फाइनल में भी जगह बना ओलम्पिक कोटा हासिल किया। मोहम्मद अनस, निर्मल नाओ टॉम, विस्मया वीके और जिस्ना मैथ्यू की टीम ने फाइनल में 15.77 सेकेंड का समय निकाल सातवां स्थान हासिल किया। फाइनल में पहुंचना भारत को ओलम्पिक कोटा दिलाने में तो सफल रहा लेकिन शीर्ष-3 में रहकर पदक जीत इतिहास रचने का काम यह चौकड़ी नहीं कर सकी।
इन दोनों के अलावा एक और जो अच्छा प्रदर्शन भारत के दृष्टिकोण से रहा वो था महिला भालाफेंक खिलाड़ी अनू रानी का फाइनल में जगह बनाना। वह पहली ऐसी महिला खिलाड़ी थी कि जो विश्व चैम्पियनशिप में भाला फेंक के फाइनल में पहुंची थीं। फाइनल में वह आठवें स्थान पर रहीं, लेकिन ओलम्पिक कोटा हासिल नहीं कर पाईं।
वर्ष 2014 की एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनु ने चैम्पिानशिप में अपना खुद का पुराना रिकॉर्ड (62.34) तोड़ते हुए ग्रुप-ए के क्वालीफायर में 62.43 मीटर का थ्रो फेंककर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था और क्वालीफायर में पांचवें स्थान पर रहते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था।
इन तीनों स्पर्धाओं के अलावा भारत को निराशा ही हाथ लगी। पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर रिले स्पर्धा में भारतीय टीम फाइनल में जगह नहीं बना पाई। अमोज जैकब, मोहम्मद अनस, जीवन केएस और निर्मल की टीम ने हीट-2 में हिस्सा लिया और सातवें पायदान पर रही। भारतीय टीम ने तीन मिनट और 03.09 सेकेंड में रेस पूरी की।
एशियाई खेलों के पदक विजेता तेजिंदर पाल तूर शॉट पुट में भारत को सफलता दिलाने में नाकाम रहे थे वहीं टी. गोपी ने मैराथन में निराश किया। जबीर मदारी पिलयालिल पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ स्पर्धा के सेमीफाइनल तक तो पहुंचे लेकिन फाइनल की इस बाधा करो वह पार नहीं कर पाए। जबीर सेमीफाइनल की हीट-3 में पांचवें स्थान पर रहे। जबीर ने 49.71 सेकेंड का समय निकाला।
पुरुषों की 1500 मीटर स्पर्धा में जिन्सन जॉनसन ने भी निराश किया। वह हीट-2 में 10वें पायदान पर रहे स्पर्धा में भाग ले रहे 43 प्रतिभागियों में वह 34वें नंबर पर रहे और सेमीफाइनल में जगह नहीं बना पाए। इसी स्पर्धा में भारत की महिला धाविका पी.यू. चित्रा भी सेमीफाइनल में नहीं जा सकीं।
पुरुषों की 20 किलोमीटर पैदल चाल में के.टी. इरफान और देवेंद्र सिंह ने भी निराश किया। इसी तरह पुरुष मैराथन में एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता कोनाकल गोपी 21वें स्थान पर रहे। गोपी अपना इस सीजन का श्रेष्ठ समय भी नहीं निकाल सके।
ओलम्पिक में एक साल से भी कम का समय बचा है। ऐसे में तीन स्पर्धाओं को छोड़कर भारत को जो प्रदर्शन बाकी स्पर्धाओं में रहा है वो निराशाभर है।