गोवा लीग मामला : एआईएफएफ और जीएफए नहीं हैं एक साथ
लंदन स्थित एक कंपनी स्पोर्टरडार, जो सट्टेबाजी पर नजर रखती है और फीफा उसका क्लाइंट- ने गोवा प्रो लीग में 16 अक्टूबर 2019 से 19 नवंबर 2019 के बीच खेले गए छह मैचों पर अपना शक जताया।
कोलकाता| एक शख्स का मीडिया एक्रीडेशन कार्ड के जरिए आई-लीग मैच देखना सवालों के घेरे में आ गया है और ऐसा माना जा रहा है कि उसका संबंध गोवा पेशेवर लीग है जो मैच के परिणाम को प्रभावित करने के कारण संदिग्ध सट्टेबाजी के तौर पर जानी जाती है।
लंदन स्थित एक कंपनी स्पोर्टरडार, जो सट्टेबाजी पर नजर रखती है और फीफा उसका क्लाइंट- ने गोवा प्रो लीग में 16 अक्टूबर 2019 से 19 नवंबर 2019 के बीच खेले गए छह मैचों पर अपना शक जताया।
स्पोर्टरडार ने अपने फ्रॉड डिटेकशन सिस्टम से इन संदिग्ध गितिविधियों को देखा और एशियाई फुटबाल परिसंघ (एएफसी) को इस बात की जानकारी दी, जिसने अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) के इंटीग्रीटि ऑफिसर जावेद सिराज का रुख किया।
जीएफ के सचिव जोवितो लोपेज ने कहा है कि उनकी संस्थान ने जांच की है और एक गैब्रिएल फर्नाडेज नाम के शख्स को गिरफ्तार भी किया है जो गोवा लीग के मैचों की पल-पल की कॉमेंट्री दे रहा था, लेकिन साथ ही कहा है कि बिना सबूतों के कारण मैच फिक्सिंग की बात साबित नहीं होती है।
जीएफए ने सिराज को नौ मार्च को पत्र लिखा है जिसमें बताया है कि एक संदिग्ध शख्स चर्चिल ब्रदर्स और गोकुलाम केरल एफसी का फातोर्दा स्टेडियम में आठ मार्च को खेला गया मैच देख रहा था और उसे कॉमंट्री देते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। इस शख्स के पास आई-लीग का मीडिया कार्ड भी था जिसके मुताबिक यह जीनियस ग्रुप का रिपोर्टर है और इस जीनियस ग्रुप का बेट 365 से ताल्लुक है।
सिराज से जब नौ मार्च को जीएफए की गोवा प्रो लीग के मैचों की जांच रिपोर्ट के बारे में पूुछा गया तो उन्होंने आईएएनएस से कहा, "कोई पुख्ता सबूत नहीं है। दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं।"
उन्होंने कहा, "जीएफए ने गोवा प्रो लीग के मुद्दे पर छह मार्च को दो लाइन का पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि हम इस मामले को देख रहे हैं।"
पूर्व सीबीआई अधिकारी रह चुके सिराज ने कहा, "देखिए, अगर यह खिलाड़ी है तो वह मैच देख सकता है। रिपोर्ट पुख्ता नहीं है। आपको किसी भी चीज को साबित करने के लिए सबूत चाहिए होते हैं। हम इस मामले पर अभी भी जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और इसके बाद हमें इसे आगे ले जाएंगे। इसे जीएफए की तरफ से नौ मार्च को मिले पत्र से मत मिलाइए।"
इस संबंध में जब जीएफए सचिव लोपेज से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ नौ मार्च को पत्र नहीं भेजा गया बल्कि मंगलवार की सुबह ज्यादा जानकारी के साथ एक और पत्र भेजा गया है।
लोपेज ने आईएएनएस से कहा, "हमने अपने पत्र में सब कुछ साफ-साफ बताया है। जो इंसान आठ मार्च को आई-लीग मैच में मौजूद था वही गोवा लीग के मैचों में पल-पल की कॉमेंट्री कर रहा था। इसलिए दोनों में संबंध है।"
उन्होंने कहा, "हमें पांच मार्च को जैसे ही पत्र मिला हमने जांच शुरू कर दी। हम यह नहीं कह सकते कि वह इसमें शामिल है लेकिन वही शख्स आई-लीग मैचों में और गोवा प्रो लीग के मैचों में वही काम कर रहा है।"
उन्होंने कहा, "नौ मार्च के पत्र के बाद हमें एआईएफएफ से कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हमने उन्हें मंगलवार सुबह एक पत्र भेजा है जिसमें आगे जो चीजें हुई हैं उनकी जानकारी दी है।"
फुटबाल दिल्ली के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन, जो एआईएफएफ द्वारा इंटीग्रिटी अधिकारी नियुक्त करने में काफी सक्रिय रहे थे, ने कहा है कि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। प्रभाकरण फीफा पूव साउथ सेंट्रल डेवलपमेंट अधिकारी रह चुके हैं।
प्रभाकरन ने आईएएनएस से कहा, "भारत में आपको ज्यादा चीजों को पता नहीं चलता है। लेकिन वैश्विक स्तर पर आपको पता चलता है कि भारतीय लीगें भी सट्टेबाजी के लिए चर्चा में हैं। इसी कारण इंटीग्रिटी अधिकारी को नियुक्त किया गया था। जब मैं फीफा में था तब मैंने इसकी शुरुआत में अहम रोल निभाया था। हमने फीफा इंटरपोल सीबीआई सेमीनार भी भारत में किए थे।"
उन्होंने कहा, "मैंने यह पहल की थी। यह अच्छा कदम था। हम राज्यों और क्लबों को भी सक्रिय हो जाना चाहिए। एआईएफएफ अकेले सभी कुछ नहीं संभाल सकती। जीएफए का मुद्दा मेरे लिए हैरान करने वाला नहीं है क्योंकि वहां शक था। अभी इस समय इन पर संदेह और इसे साबित नहीं किया गया है। यह भारतीय फुटबाल के लिए सही समय है और वो पहले से ज्यादा सक्रिया हो जाए और सिस्टम बनाए। यह चीजें फुटबाल को वित्तीय तौर पर भी प्रभावित कर सकती हैं हमें हर मैच को बचाना होगा। इसलिए एक स्थानीय संघ होने के कारण हमने स्पोटर्सरडार से साझेदारी की है।"