खेल रत्न के लिए पिछले चार साल की जगह पूरे करियर का प्रदर्शन पैमाना बने: विकास कृष्णन
विकास ने कहा ‘‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार है। ऐसे में इसे पिछले चार साल के प्रदर्शन की जगह पूरे करियर के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाना चाहिए।’’
नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके मुक्केबाज विकास कृष्ण (69 किग्रा) ने कहा है कि राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को खिलाड़ी के पिछले चार साल के प्रदर्शन की जगह पूरे करियर के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाए। विकास खुद भी इस साल देश के इस सबसे बड़े खेल पुरस्कार की दौड़ में शामिल है जिन्हें भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआई) की तरफ से सोमवार को नामित किया गया। संघ ने 28 साल के इस अनुभवी मुक्केबाज के साथ युवा अमित पंघाल का नाम भी इस पुरस्कार के लिए भेजा है। इस पुरस्कार के विजेताओं को खेल मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति द्वारा चुना जाता है जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले चार साल की अवधि में खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन को तवज्जो दी जाती है।
वर्ष 2012 में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त विकास ने फोन पर भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा,‘‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार है। ऐसे में इसे पिछले चार साल के प्रदर्शन की जगह पूरे करियर के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाना चाहिए।’’
हरियाणा के हिसार के इस खिलाड़ी ने कहा,‘‘मैं अगर अपनी बात करूं तो मैंने 10 साल (2010 में स्वर्ण) पहले एशियाई खेलों में पदक हासिल किया था, नौ साल पहले विश्व चैम्पियनशिप में पदक(2011 में कांस्य) जीता था। एशियाई खेलों में मुझे दूसरा पदक जीते-जीते (2014 में रजत पदक) मुझे छह साल हो जाऐंगे। ऐसे में चार साले वाले नियमों के तहत मेरे उस प्रदर्शन का आकलन नहीं किया जाएगा।’’
एशियाई खेलों एवं राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने विकास ने अपने नामांकन के लिए बीएफआई का शुक्रिया करते हुए कहा, ‘‘हर चीज को लगातार अपडेट करने की जरूरत होती है। आज की दौर से तुलना करें तो पहले खिलाड़ियों का करियर कम होता था। मैं 2010 से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा हूं। उस (2010) साल मैंने युवा ओलंपिक और युवा विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता था। एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक भी मैंने 2010 में ही जीता था। इसके बाद कोई भी वर्ष ऐसा नहीं गया जिसमें मैंने किसी बड़े टूर्नामेंट में पदक नहीं जीता हो।’’
उन्होंने कहा,‘‘मैंने 2011 विश्व चैम्पियनशिप में पदक (कांस्य) जीता, 2012 लंदन ओलंपिक में खेला, 2014 में एशियाई खेलों में पदक , 2015 में एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप, 2016 में रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय किया, 2017 में एशियाई चैम्पियनशीप और 2018 में राष्ट्रमंडन खेलों (स्वर्ण) एवं एशियाई खेलों (कांस्य) में पदक और फिर तोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। ऐसे में पिछले 10 साल से निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर रहा हूं। अगर पूरे करियर के प्रदर्शन को देखा जाए पुरस्कार के लिए मेरा दावा और मजबूत होगा।’’
कोविड-19 महामारी के कारण ओलंपिक एक साल के लिए टलने के बाद तैयारियों पर पड़ने वाले असर के लिए पूछे जाने पर विकास ने कहा कि इससे उनके प्रदर्शन में और सुधार आयेगा।
ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह के बाद तीन बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई होने वाले इस दूसरे भारतीय मुक्केबाज ने कहा,‘‘मैंने क्वालीफाई कर लिया है ऐसे में मेरी पूरी तैयारी तोक्यो ओलंपिक पर है। अगर क्वालीफाई नहीं किया होता तो मन में निश्चितता नहीं रहती लेकिन जब मुझे पता है कि ओलंपिक खेलना है तो अभ्यास और तैयारी भी उसी स्तर का है।’’
विकास पिछले साल पेशेवर मुक्केबाज बने गये थे लेकिन उन्होंने फिर से एमेच्योर में वापसी की। उन्होंने कहा, ‘‘ तोक्यो ओलंपिक में पदक को लेकर मेरी खुद से उम्मीदें इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पेशेवर मुक्केबाजी में हाथ आजमाने के बाद मेरे मुक्कों में और पैनापन आया है। इसने मुझे पहले से ज्यादा फुर्तीला और तेज बनाने में मदद की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महामारी के दौरान प्रतिबंधों के कारण वह अभ्यास नहीं कर पा रहे थे लेकिन बीएफआई ने मुक्केबाजों का पूरा साथ दिया। बीएफआई ने वीडियो संदेशों और ऑनलाइन सत्र के द्वारा किसी के मन में नकारात्मक विचार नहीं आने दिया।’’
उन्होंने कहा कि ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले सभी मुक्केबाज जल्द ही सरकार के दिशानिर्देशों के तहत अभ्यास शुरू करेंगे।