Exclusive| यूक्रेन के बॉक्सर लोमाचेंको की स्पीड और मूव्स से मैंने काफी कुछ सीखा- अमित पंघाल
वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर जीतने वाले देश के पहले बॉक्सर बने।
फ्लोटिंग लाइक ए बटरफ्लाई एंड स्टिंग लाइक ए बी...यानी तितली की तरह मूव करने की स्पीड और मक्खी के डंक की तरह पंच मारने की क्षमता ये लाइन एक बॉक्सर के जीवन में काफी मायने रखती है। कुछ ऐसी ही स्पीड और पंच का शानदार नमूना हाल ही में भारतीय बॉक्सर अमित पंघाल ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप की रिंग में पेश किया था। हालाँकि वो गोल्ड से बस एक कदम दूर रह गए और बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर जीतने वाले देश के पहले बॉक्सर बने। जिसके बाद से देश में चारों तरफ अमित पंघाल के नाम की चर्चा जोरों पर हैं और उनसे भारतीय फैंस की उम्मीदें अब अगले साल ओलंपिक को लेकर और बढ़ गई है।
वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप के 52 किलोग्राम भार वर्ग में अमित ने सिल्वर मेडल जीतने के बाद इंडिया टी.वी. से फोन पर किए साक्षात्कार में इतिहास रचने को लेकर ख़ुशी जाहिर की साथ ही ओलंपिक के लिए की जाने वाली ख़ास तैयारी के बारे में भी बताया।
वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में फाइनल मैच खेलने और सिल्वर जीतने वाले अमित ने कहा, "पहली बार बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर जीतने के बाद काफी उत्साहित हूँ और सभी देशवासियों से मिलने वाले स्नेह और प्रेम के लिए उन्हें धन्यवाद भी देना चाहता हूँ।"
हरियाणा में रोहतक के रहने वाले अमित के बड़ें भाई अजय पंघाल भी बॉक्सर थे मगर परिवार की आर्थिक स्थिति सही ना होने के कारण उन्होंने सेना में नौकरी करने का मन बनाया। हालाँकि अमित को उन्होंने कभी भी जरूरतों और पारिवारिक समस्याओं के कारण बॉक्सिंग ग्लव्स उतारने नहीं दिया। अमित के बड़े भाई ने उन्हें शुरू से पूरी तरह से सपोर्ट किया जिसके चलते वो इस मुकाम तक पहुंचे। अजय के बारे में अमित ने कहा, "मेरा भाई मेरे लिए सबसे पहला कोच और प्रेरणा स्त्रोत है। मेरी हर एक जरूरत यहाँ तक की खाने की डाइट का भी उसने शुरू से ख्याल रखा। मेरी बॉक्सिंग में मेरे भाई ने काफी सपोर्ट किया जिसके चलते मैं आज ये सब कर पा रहा हूँ।"
अमित की कद-काठी अगर आप देखेंगे तो वो कहीं से भी आपको बॉक्सर नहीं नजर आएंगे। लेकिन अपनी दुबली कद-काठी के कारण वो रिंग में काफी फुर्ती से बॉक्सिंग करते हैं। हालाँकि उनके किसान पिता बिजेंद्र पाल इस बात को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे कि कहीं अमित को गंभीर चोट ना आ जाए। जिसके चलते शुरूआती दिनों में वो अमित को बॉक्सिंग से दूर रहने को भी कहते थे।
अमित ने अपनी कद-काठी के बारे में कहा, "मेरे शरीर के दुबले-पतले होने के कारण मेरे पिता शुरू में काफी मना करते थे लेकिन मेरे भाई और मेरे अंदर बॉक्सिंग को लेकर जुनून था। पिता का मानना था की मैं इतना दुबला हूँ कैसे बॉक्सिंग लडूंगा लेकिन अब जब मैंने कर दिखाया है तो उन्हें आज मेरे उपर काफी गर्व है।"
अमित की बॉक्सिंग में दिन प्रति दिन काफी बदलाव आए। जैसे-जैसे वो जूनियर से सीनियर बॉक्सिंग की तरफ बढ़ें अमित ने अपनी मुक्केबाजी में इंटरनेट के द्वारा वीडियो देखकर काफी कुछ सीखा। अमित से जब पूछा गया कि इस समय उन्हें बॉक्सिंग की दुनिया में सबसे ज्यादा कौन प्रभावित करता है। अमित ने झट से यूक्रेन की बॉक्सिंग और वहाँ के बॉक्सर के खेल को सराहा। अमित ने कहा, "उक्रेन के बॉक्सर वासेल लोमाचेंको में कमाल की स्पीड और शानदार पंच मारने की क्षमता है जिसे मैं इन दिनों तहे दिल से फॉलो करता हूँ और खाली समय में उनके मूव्स देखकर काफी कुछ सीखता हूँ।"
अगले साल 2020 में जापान की राजधानी टोक्यो में खेलो का महाकुम्भ ओलंपिक होने वाला हैं। जिसमें पदक जीतने के लिए हर एक खिलाड़ी अपना सब कुछ न्यौछावर कर देता है। ऐसे में अमित से जब वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीतने के बाद ओलंपिक की ख़ास तैयारी के बारें में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैं अपने बेसिक्स पर धयान दे रहा हूँ। जो कर रहा हूँ इससे और अधिक करने की कोशिश करूंगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं ओलंपिक में पदक लेकर वापस लौटूंगा।"
वहीं अमित से जब वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीतने के बाद लोगो की उम्मीदों के ओलंपिक के लिए बढ़ने वाले अतिरिक्त दबाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "नहीं ये सभी मेरे देशवासियों की दुआएं हैं। किसी भी तरह का दबाव नहीं है और ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए ये दुआएं भी काम आएँगी।"