नई दिल्ली। बेंगलुरू एफसी के पूर्व स्पेनिश कोच अल्बर्ट रोका समेत चार अन्य विदेशी प्रशिक्षक भारतीय फुटबाल टीम के कोच बनने की दौड़ में शामिल हैं। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) की श्याम थापा की अध्यक्षता वाली तकनीकी समिति आगामी गुरुवार को इन चारों का साक्षात्कार लेगी। भारतीय फुटबाल टीम के कोच के चयन के लिहाज से यह प्रक्रिया सबसे अहम है। आईएएनएस से एक सूत्र ने कहा, "महासंघ ने फिलहाल, स्काइप के जरिए इन सभी का इंटरव्यू लेने का निर्णय लिया है, लेकिन अगर इनमें से कोई व्यक्तिगत तौर पर मौजूद रहते हुए इंटरव्यू देना चाहता है तो उसका स्वागत है।"
रोका भारतीय फुटबाल के लिए जाना-माना नाम हैं। वह 2016 से 2018 तक बेंगलुरू एफसी के कोच रहे जबकि स्वीडन के हकाना एरिक्सन, क्रोएशिया के इगोर स्टीमाक और दक्षिण कोरिया के ली मिन-सूंग को अपने देशों की फुटबाल टीम के साथ कोचिंग का अच्छा अनुभव है।
स्टीफान कांस्टेनटाइन के इस्तीफा देने के बाद से ही रोका का नाम भारतीय टीम के अगले कोच के तौर पर प्राथमिकता से लिया जा रहा है। बेंगलुरू का कोच रहने के कारण रोका को कप्तान सुनील छेत्री के साथ काम करने का अच्छा अनुभव है। कोच का फैसला इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वह महासंघ से कितना वेतन मांगता है क्योंकि एआईएफएफ 25,000 डॉलर प्रति महीना से अधिक वेतन नहीं देना चाहता।
स्टीमाक का नाम भी एक कोच और खिलाड़ी के रूप में बहुत प्रसिद्ध रहा है। 51 वर्षीय स्टीमाक 1990 से 2002 तक क्रोएशिया की राष्ट्रीय टीम के लिए खेले। वह 1998 में हुए फीफा विश्व कप में तीसरे पायदान पर रहने वाली क्रोएशिया की टीम का भी हिस्सा थे। वह एक साल तक राष्ट्रीय टीम के कोच भी रहे, उन्हें 2012 में बर्खास्त कर दिया गया था।
दूसरी ओर, एरिक्सन एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां हमेशा से फुटबाल खेली गई है। उनके पिता जॉर्ज स्वीडन की राष्ट्रीय टीम के कोच रह चुके हैं। एरिक्सन कभी राष्ट्रीय टीम के कोच नहीं रहे, लेकिन उन्होंने 2011 से लेकर 2017 तक अंडर-21 टीम का मार्गदर्शन किया।
दक्षिण कोरिया के मिन-सूंग को महासंघ ने तीन अन्य यूरोपीय कोच के ऊपर चुना है। अगर उन्हें कोच बनाया जाता है तो वह भारतीय टीम के पहले ऐसे कोच होंगे जिन्हें दो विश्व कप में खेलने का अनुभव होगा। वह 1998 और 2002 में हुए विश्व कप में खेल चुके हैं। 48 वर्षीय पूर्व डिफेंडर मिन-सूंग दक्षिण कोरिया की अंडर-23 टीम के कोच रह चुके हैं।