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Hindi News खेल अन्य खेल ओलंपिक क्वालीफायर में कोचों की रणनीति बदलने से मिला टोक्यो का टिकट: विनेश फोगाट

ओलंपिक क्वालीफायर में कोचों की रणनीति बदलने से मिला टोक्यो का टिकट: विनेश फोगाट

विनेश फोगाट का कहना है कि ओलंपिक क्वालीफिकेशन के अहम मुकाबले में मैट पर परिस्थितियों के अनुरूप उन्होंने कोचों द्वारा बतायी गयी रणनीति में बदलाव किया और जीत हासिल की।

<p>ओलंपिक क्वालीफायर...- India TV Hindi Image Source : AP IMAGES ओलंपिक क्वालीफायर में कोचों की रणनीति बदलने से मिला टोक्यो का टिकट: विनेश फोगाट

नूर-सुल्तान (कजाखस्तान)। कुश्ती में तोक्यो ओलंपिक का टिकट कटाने वाली पहली भारतीय बनी विनेश फोगाट का कहना है कि ओलंपिक क्वालीफिकेशन के अहम मुकाबले में मैट पर परिस्थितियों के अनुरूप उन्होंने कोचों द्वारा बतायी गयी रणनीति में बदलाव किया और जीत हासिल की।

विश्व चैम्पियनशिप की ओलंपिक क्वालीफाइंग बाउट से पहले कोच वूलर एकोस ने विनेश को सारा एन हिल्डरब्रांट से दूर रहने के साथ उसके दायें हाथ को रोकने और पैरों को बचाने की रणनीति सुझायी थी। लेकिन विनेश ने मैट पर परिस्थितियों के हिसाब से इसका उलट किया।

विनेश ने 53 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतने और तोक्यो ओलंपिक का टिकट कटाने के बाद पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘कोचों ने कुछ और ही रणनीति सुझायी थी लेकिन मुझे मैट पर कुछ और ही लगा और मैंने इसी के अनुसार रणनीति में बदलाव किया। मुझे लगा कि वह मुझ पर दबाव बना रही थी लेकिन मैं अंक नहीं गंवा रही थी तो इससे वह थक रही थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये मैंने सोचा कि क्यों उसे पैरों पर आक्रमण करने के लिये लुभाऊं और फिर डिफेंस में मजबूत बनी रहूं ताकि इससे वह पूरी तरह थक जाये। मैंने उसे ऐसा करने दिया और फिर उसे रोक लिया। यह मेरे लिये कारगर रहा। मैं जानती हूं कि वह मेरी तुलना में कितनी मजबूत थी।’’

अमेरिका की नंबर एक पहलवान ने रेपेचेज की दूसरी बाउट के दौरान पांच बार विनेश के पैर को पकड़ा था लेकिन वह इसमें से एक में भी अंक नहीं जुटा सकी। विनेश ने कहा, ‘‘अगर वह कुछ अंक जुटा भी लेती तो वह थक जाती क्योंकि इसके लिये वह अपनी पूरी ताकत झोंक देती।’’

यह भारतीय पहलवान जानती है कि बड़ा पदक जीतने का मतलब क्या होता है। वह रियो ओलंपिक से पहले लगी चोट को भूली नहीं है जिसके कारण उसे कुछ हफ्तों तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ा था।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां ने तो मेरी बाउट देखना ही बंद कर दिया था। उसे डर लगता था कि मैं फिर से अपने पैर में चोट लगा लूंगी। हालांकि वह अगर देखती भी तो वह चिल्ला चिल्लाकर दूसरों के लिये मुश्किल पैदा कर देती कि अरे, मेरी बेटी की टांग छोड़ दे, तोड़ ना दियो।"

अपने पहलवान पति सोमबीर राठी के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने भले ही पदक नहीं जीते हों लेकिन कुश्ती के दांव पेच में वह बहुत चतुर हैं। वह भी वही चीज कहते जो मेरे विदेशी कोच ने कही थी।"