नई दिल्ली। केंद्र और भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राहत दी है और कहा है कि राष्ट्रीय खेल कोड के मुताबिक खेल महासंघों को मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार को दिल्ली उच्च न्यायालय की सहमति की जरूरत नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुछ महीने पहले कई खेल महासंघों की मान्यता को रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ खेल मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। डीवाई. चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और के.एम. जोसेफ की पीठ खेल मंत्रालय की इस अपील की सुनवाई कर रही थी।
केंद्र ने अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहा था कि अगर मान्यता देने के लिए उच्च न्यायालय की मंजूरी का इंतजार करना पड़ा तो पूरी प्रक्रिया रुक ही जाएगी।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2010 में राहुल मेहरा द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका के संबंध में आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय खेल महासंघों को राष्ट्रीय खेल कोड के अधीन होकर अपने कार्यों का निर्वाह करना चाहिए। याचिका में खेल मंत्रालय और आईओए से इस बात को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांगे थे।
केंद्र ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उच्च न्यायालय को उस क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहिए जो क्षेत्र अधिकारियों द्वारा चलाया जाता हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका 2010 से लंबित पड़ी थी और अगर किसी को लगता है कि कोई महासंघों को मान्यता नहीं मिलने से पीड़ित महसूस कर रहा है तो निश्चित तौर पर कोर्ट में आना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय से शीघ्रता से याचिका पर फैसला लेने को कहा है।
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आईओए और खेल मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के खिलाफ शीर्ष कोर्ट का रुख किया था।
अगस्त में दिल्ली उच्च न्यायालय ने खेल मंत्रालय द्वारा अपने फैसले को बदलने को लेकर डाली गई याचिका को खारिज कर दिया था। उसने मंत्रालय से राष्ट्रीय खेल कोड का लागू करने वाली रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल महासंघों को सवालों की सूची भेजी थी जिसमें अधिकारियों के कार्यकाल और आयु की सूची मांगी थी।