भारतीय हॉकी के पूर्व स्पेनिश कोच ब्रासा ने कोरोना से लड़ने के लिए भारतीयों को दी ख़ास सलाह
भारतीय पुरूष हॉकी टीम के पूर्व स्पेनिश कोच जोस ब्रासा ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीयों को एक टीम की तरह एकजुट होकर लक्ष्य का सामना करने की सलाह दी है।
नई दिल्ली| उन्हें भारत छोड़े एक दशक हो गया है लेकिन उनका दिल आज भी इस देश के लिये धड़कता है और भारतीय पुरूष हॉकी टीम के पूर्व स्पेनिश कोच जोस ब्रासा ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीयों को एक टीम की तरह एकजुट होकर लक्ष्य का सामना करने की सलाह दी है। इटली के बाद कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित स्पेन के इस कोच ने बेल्जियम से भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा,‘ इस लड़ाई में सबसे अहम एक टीम के रूप में लड़ना है। साझा लक्ष्य बनाकर उन्हें पाने की कोशिश करनी होगी ।’’
एशियाई खेल 2010 तक भारतीय टीम के कोच रहे ब्रासा ने कहा ,‘‘ भारत मेरे दिल में है और मैं दुआ करता हूं कि जल्दी ही वह कोरोना को हरा दे और वहां ज्यादा मौतें न हों।’’ स्पेन में सोमवार को 4273 नये मामले दर्ज किये गए और अब वहां संक्रमितों की कुल संख्या करीब 135000 हो गई है। मरने वालों की संख्या में 24 मार्च के बाद पहली बार गिरावट आई है।
बेल्जियम के लीज क्लब के कोच ब्रासा लॉकडाउन के दौरान वहां फंसे हैं लेकिन अपने देश के हालात पर लगातार नजर रखे हुए हैं । उन्होंने कहा ,‘‘ लगता है कि सबसे खराब दौर अब बीत रहा है और हमें अंधेरे में आशा की किरण दिख रही है । यह अच्छी बात है कि लोग सरकार के निर्देशों का सख्ती से पालन कर रहे हैं । स्पेन में पिछले दस दिन से पूरा लॉकटाउन है । इस वायरस को घर में रहकर ही हराया जा सकता है।’’
ब्रासा का परिवार मैड्रिड के बाहर पोजुएलो में रहता है और आखिरी बार वह 12 मार्च को अपने परिजनों से मिले थे लेकिन फोन पर लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि स्पेन या बेल्जियम में घबराहट नहीं है लेकिन चिंता जरूर है। उन्होंने यह भी कहा कि खराब स्वास्थ्य तंत्र के कारण स्पेन में लोगों में स्थानीय प्रशासन को लेकर काफी आक्रोश है।
ब्रासा ने कहा ,‘‘ अगर स्पेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र मजबूत होता तो यह नौबत नहीं आती।’’ हॉकी कोच होने के नाते वह लोगों को टीमवर्क, एकजुटता और लक्ष्य को मिलकर हासिल करने का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने कहा ,‘‘ हॉकी या टीम खेल हमें मिलकर हालात का सामना करना सिखाते हैं। यह हमें एक दूसरे की मदद करना भी सिखाते हैं क्योंकि टीम में कमजोर कड़ी पर ही दुश्मन हमला करता है।’’
ब्रासा ने कहा कि दक्षिणी यूरोप और मध्य या उत्तर यूरोप की संस्कृति में फर्क के कारण भी इटली और स्पेन में यह महामारी बुरी तरह फैली। उन्होंने कहा ,‘‘ हम दक्षिण यूरोप वाले अपने जिंदादिल स्वभाव, सृजनात्मकता और अनुशासनहीनता के लिये जाने जाते हैं जबकि उत्तर या मध्य यूरोप के लोग संजीदा और नियमों का सख्ती से पालन करने वाले होते हैं। यही वजह है कि जर्मनी, स्वीडन , बेल्जियम जैसे देशों में महामारी उतनी नहीं फैली जितनी इटली और स्पेन में।’’
लॉकडाउन के दौरान अपनी दिनचर्या के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘ मैं पुराने मैचों के वीडियो देखता हूं। मैने खेल आहार के बारे में पढना शुरू किया है। मैं पिछले 20 दिन से अपार्टमेंट से बाहर नहीं निकला हूं और कोचिंग के नये पहलुओं को सीख रहा हूं। इसके अलावा खाना खुद पकाता हूं, सफाई करता हूं।’’ उन्होंने तोक्यो ओलंपिक स्थगित करने के आईओसी के फैसले का भी स्वागत किया।