बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप: क्वार्टर फाइनल में जीत के बाद सिंधु ने दिया बड़ा बयान, बोली 'बदल सकता है इस बार पदक का रंग'
ताई जू के खिलाफ सिंधु की 2016 रियो ओलम्पिक के बाद से यह पहली जीत है।
बासेल। बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप-2019 के क्वार्टर फाइनल में वर्ल्ड नंबर-2 चीनी ताइपे की ताई जू यिंग को हराने के बाद भारत की अग्रणी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने कहा कि वह इस जीत से संतुष्ट नहीं हैं और अपने पदक का रंग बदलना चाहती हैं।
सिंधु ने यहां तीन गेमों तक चले एक कड़े मुकाबले में ताई जू को 12-21, 23-21, 21-19 से पराजित किया। उन्होंने वर्ष 2017 और 2018 में इस प्रतियोगिता में रजत पदक जीता था और इस बार उनका ध्यान स्वर्ण जीतने पर केंद्रित है।
सिंधु ने मैच के बाद आईएएनएस से कहा, "पदक कर रंग बदलने में थोड़ा समय लगेगा। मुझे मैच दर मैच अच्छा प्रदर्शन करना होगा। निश्चित तौर पर मैं अपने लिए पदक जीतना चाहूंगी, लेकिन मैं इस जीत से संतुष्ट नहीं हूं और मुझे उम्मीद है कि आने वाले मुकाबलों में मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी।"
ताई जू के खिलाफ सिंधु की 2016 रियो ओलम्पिक के बाद से यह पहली जीत है। उन्होंने पिछले ओलम्पिक में रजत पदक जीता था।
सिंधु ने कहा, "मैच बहुत मुश्किल था, मैं पहला गेम हार गई। शुरुआत में ही विपक्षी खिलाड़ी ने बढ़त बना ली, मैंने वापसी की कोशिश की, लेकिन उसकी लीड बहुत बड़ी हो गई थी।"
उन्होंने कहा, "दूसरे गेम में भी अंत तक मुकाबला हुआ। कोई भी खिलाड़ी गेम जीत सकता था, क्योंकि एक समय स्कोर 21-21 से बारबर था, लेकिन मैं वापसी करने में कामयाब रही। मैंने मैच के दौरान हमेशा सकारात्मक सोच रखी थी और सबकुछ बहुत अच्छा हुआ, मैं बहुत खुश हूं।"
सिंधु इस साल अबतक एक भी बड़ा खिताब नहीं जीत पाई है। इस पर उन्होंने कहा, "मैं इस मैच के लिए तैयारी करके आई थी, क्योंकि ताई जू को हराना आसान नहीं है। वह एक टॉप खिलाड़ी है और बहुत अच्छा खेलती है। मेरे लिए हर मैच बहुत महत्वपूर्ण है और अभी सेमीफाइनल की बाधा बाकी है, उम्मीद है कि मैं वहां भी अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाऊंगी।"
ये दोनों खिलाड़ी प्रीमियर बैडमिंटन लीग (पीबीएल) में एक-साथ खेल चुकी हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पीबीएल में खेलने से उन्हें ताइ जू का सामना करने में कुछ लाभ मिला, सिंधु ने कहा, "हर मैच अलग है, क्योंकि हर समय एक ही रणनीति के साथ आप नहीं खेल सकते। रणनीति उतनी काम भी नहीं आती है, क्योंकि हम बहुत बार खेल चुके हैं। हम दोनों का खेल एक-दूसरे को पता है, और इसलिए कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है। जब हम मैच में जाते हैं तो हर अंक महत्वपूर्ण होता है और हम स्थिति के हिसाब से अपनी रणनीति बदलते हैं।"
इस जीत के साथ प्रतियोगिता में सिंधु का कांस्य पदक पक्का हो गया है।