नंदू नाटेकर के निधन पर शोक में डूबा बैडमिंटन जगत, दिग्गजों ने दी ऐसी प्रतिक्रिया
गोपीचंद ने कहा, "हमारे लिए वह भारतीय बैडमिंटन के सच्चे लीजेंड हैं। वह काफी सम्मानित थे और हमने उनके बारे में कहानियां सुनी।"
देश के बैडमिंटन जगत ने बुधवार को दिग्गज खिलाड़ी नंदू नाटेकर के निधन पर शोक जताया जिन्हें मौजूदा राष्ट्रीय मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने खेल का ‘सच्चा लीजेंड’ करार दिया जबकि विमल कुमार ने स्वयं के खेल से जुड़ने का श्रेय उन्हें दिया। राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट और टेनिस खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी बने नाटेकर का बुधवार को पुणे में निधन हुआ। अपने करियर के दौरान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 100 से अधिक खिताब जीतने वाले 88 साल के नाटेकर उम्र संबंधित बीमारियों से परेशान थे।
गोपीचंद ने पीटीआई से कहा, "हमारे लिए वह भारतीय बैडमिंटन के सच्चे लीजेंड हैं। वह काफी सम्मानित थे और हमने उनके बारे में कहानियां सुनी। उन्होंने शीर्ष स्तर पर बैडमिंटन ही नहीं बल्कि टेनिस भी खेला। वह ऐसे युग में खेले जब वह सुरेश गोयल, दिनेश खन्ना और प्रकाश पादुकोण के साथ शीर्ष खिलाड़ी थे।"
नाटेकर 1951-52 राष्ट्रीय जूनियर टेनिस के फाइनल में रामनाथन कृष्णन के खिलाफ हार के बाद बैडमिंटन से जुड़े। गोपीचंद ने कहा, ‘‘वह काफी मृदुभाषी और भद्रजन थे। बैडमिंटन में क्या चल रहा है इसमें उनकी काफी रुचि थी। उनके कोणों की बेजोड़ समझ थी, वह एक एथलीट थे क्योंकि वह टेनिस और बैडमिंटन से सामंजस्य बैठा पाए।"
पूर्व भारतीय कोच विमल ने कहा कि उनके पिता नाटेकर के बड़े प्रशंसक थे और उनके कारण ही वह खेल से जुड़े। उन्होंने कहा, "मेरे पिता उनके बड़े प्रशंसक थे और (तब) त्रिवेंद्रम में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उनको देखने के बाद मेरे पिता ने घर के बाहर कोर्ट बनवाया और इस तरह मैं बैडमिंटन से जुड़ा। मैं उन्हें तभी खेलते हुए देख पाया जब उन्होंने 1980 के दशक में वेटरन आल इंग्लैंड का खिताब जीता। वह 1950 के दशक में क्रिकेटरों के जितने लोकप्रिय थे और लोग उन्हें खेलते हुए देखने के लिए लाइन लगाते थे।"
महाराष्ट्र की टीम में नाटेकर के साथ खेल चुके अब्दुल शेख की उनसे काफी अच्छी यादें जुड़ी हैं। वर्ष 1967 में कनाडा में बसने वाले और फिर कनाडा बैडमिंटन टीम को कोचिंग देने वाले शेख ने वैंकूवर से पीटीआई से कहा, "उनके बारे में सुनकर मुझे दुख है। मैंने अपने जीवन में जिन अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को देखा उनमें वह सबसे स्टाइलिश और आकर्षक में से एक थे। मैंने 1960 के दशक में इंडिया ओपन में उनके साथ साझेदारी की। हमें फाइनल में मलेशिया के खिलाफ हार झेलनी पड़ी। वह उन खिलाड़ियों में से जो मलेशिया के वोंग पेंग सून के शानदार बैकहैंड को उठा लेते थे। वह शानदार शॉट खेलते थे और उनका फुटवर्क खूबसूरत था।"
शेख के अनुसार नाटेकर अच्छे गायक भी थे। पूर्व भारतीय खिलाड़ी और युगल विशेषज्ञ उदय पवार और बार्सीलोना 1992 तथा अटलांटा 1996 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले दीपांकर चटर्जी ने भी उनके निधन पर शोक जताया। दीपांकर ने उन्हें 'भारतीय बैडमिंटन का गॉडफादर' करार दिया।
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भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के अध्यक्ष हिमांत बिश्व सरमा ने ट्विटर पर उनके निधन पर शोक जताया। सरमा ने ट्वीट किया, "भारतीय बैडमिंटन के आइकन में से एक नंदू नाटेकर अपने पीछे शानदार विरासत छोड़ गए जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। छह बार के राष्ट्रीय चैंपियन और 1956 में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी नाटेकर को उनके ड्राइव, ड्रॉप और स्मैश के लिए याद रखा जाएगा। संवेदनाएं।"