किट्स का भुगतान करने के लिए नहीं थे पैसे फिर भी पिंकी बलहारा और मालाप्रभा जाधव ने जीते मेडल
टीम को 20 दिन के अभ्यास शिविर के लिये उज्बेकिस्तान जाना था और इसके लिये उनके गांव वालों ने मदद की।
जकार्ता: भारत के कुराश दल के सदस्यों के पास अपनी किट्स का भुगतान करने के लिये पैसा नहीं था लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद युवा पिंकी बलहारा और मालाप्रभा यलप्पा जाधव एशियाई खेलों में रजत और कांस्य पदक जीतने में सफल रही। पिंकी की कहानी बेहद दिलचस्प है। टीम को 20 दिन के अभ्यास शिविर के लिये उज्बेकिस्तान जाना था और इसके लिये उनके गांव वालों ने मदद की।
उन्होंने कहा,‘‘मुझे अभ्यास शिविर में भेजने के लिये मेरे गांव वालों ने 1.75 लाख रूपये जुटाये। मैं हमेशा उनकी ऋणी रहूंगी।’’
दिल्ली के नेब सराय गांव और बेलगांव की जाधव ने महिलाओं के 52 किग्रा भार वर्ग में पदक जीते। इस खेल को पहली बार एशियाई खेलों में शामिल किया गया है। उन्नीस साल की पिंकी फाइनल में स्वर्ण पदक की दावेदार उजबेकिस्तान की गुलनोर सुल्यामानोवा से 0-10 से हार गयी और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
पिंकी ने इससे पहले चीनी ताइपै की त्सोयू चिएवेन को अंतिम 16 के दौर में 5-0 और क्वार्टर फाइनल में श्रीलंका कि सुसांति टेर्रे कुसुमावार्दानी को 3-0 से हराया था। उन्होंने सेमी फाइनल में उजबेकिस्जान के अब्दुमाजिदोवा ओयसुलुव को 1-0 से पटखनी दी थी।
इससे पहले दिन में यलप्पा सेमीफाइनल मुकाबले में सुल्यामानोवा से 10-0 से हार गयी थी और उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। इन लड़कियों का यह प्रदर्शन उल्लेखनीय है क्योंकि एशियाई खेलों में टीम की भागीदारी पर ही सवाल उठाये जा रहे थे तथा भारतीय ओलंपिक संघ ने उनकी किट का भुगतान करने से इन्कार कर दिया था क्योंकि वे भारतीय कुराश संघ से जुड़े हैं जिसे भारत में मान्यता हासिल नहीं है।
कुराश संघ को खेल मंत्रालय से मान्यता हासिल नहीं है लेकिन आज के परिणाम के बाद जल्द ही उसे मान्यता मिल सकती है। संघ के सचिव रवि कपूर ने कहा, ‘‘खेल मंत्री (राज्यवर्धन सिंह राठौड़) आज सुबह हमसे मिले और उन्होंने जल्द ही हमें मान्यता देने का वादा किया है।’’
कुराश खेल से जुड़े अधिकतर सदस्य जूडो खेलते थे। टीम के अधिकतर सदस्य 35 हजार रूपये की किट नहीं खरीद सकते थे लेकिन उन्होंने जर्सी और ट्रैक सूट खरीदने के लिये पैसे जुटा दिये। राठौड़ हालांकि आश्वासन दे चुके हैं कि गैर मान्यता प्राप्त खेलों के खर्चों को मंत्रालय उठाएगा।
पिंकी ने तीन महीने पहले ही अपने पिता को गंवाया था। उसके पिता दिल्ली जल बोर्ड में काम करते थे लेकिन उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 42 वर्ष के थे। पिंकी ने कहा,‘‘मुझे उनके शब्द याद हैं। जब फरवरी में मेरा चयन हुआ तो उन्होंने कहा था कि तुम रजत जीतोगी स्वर्ण नहीं। और आज ऐसा ही हुआ।’’
जाधव बेलगांव के एक किसान की चार बेटियों में से एक है। उन्होंने भी यहां आने के लिये पैसे जुटाये। कुराश कुश्ती का एक प्रकार है जिसमें खिलाड़ी प्रतिद्वंद्वी पर पकड़ने के लिए तौलिये का इस्तेमाल करता है और उसे नीचे गिराने की कोशिश करता है। इस खेल को पहली बार एशियाई खेलों में शामिल किया गया है।