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एशियाई खेलों में गोल्ड के बाद ‘टॉप्स’ में जगह चाहते हैं मनजीत

एशियाई खेलों की पुरुष 800 मीटर दौड़ के स्वर्ण पदक विजेता मनजीत के पास कोई नियमित नौकरी नहीं है।

<p>मंजीत सिंह</p>- India TV Hindi मंजीत सिंह

नयी दिल्ली: एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मनजीत सिंह ने मंगलवार को खेल मंत्रालय से आग्रह किया कि उन्हें टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) में शामिल किया जाए जिससे कि वह 2020 ओलंपिक जैसे आगामी बड़े टूर्नामेंटों की तैयारी कर सकें। एशियाई खेलों की पुरुष 800 मीटर दौड़ के स्वर्ण पदक विजेता मनजीत के पास कोई नियमित नौकरी नहीं है। ओएनजीसी ने मार्च 2016 में उनका अनुबंध बढ़ाने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह नतीजे नहीं दे पा रहे थे जिसके बाद उनके पास कोई नौकरी नहीं है। 

विपरीत हालात के बावजूद मनजीत ने सेना के कोच अमरीश कुमार के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग जारी रखी जिसके बाद उन्हें राष्ट्रीय शिविर के लिए बुलाया गया। मनजीत ने कहा,‘‘मैंने मार्च 2016 में नौकरी गंवा दी क्योंकि ओएनजीसी ने मेरा अनुबंध बढ़ाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं नतीजे नहीं दे रहा। इससे पहले मुझे सहायता राशि मिल रही थी।’’ 

उन्होंने कहा,‘‘लेकिन अब मैंने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत लिया है। उम्मीद करता हूं मंत्रालय मेरी उपलब्धियों और मेरी परेशानियों पर ध्यान देगा। मेरे पास कोई प्रायोजक नहीं है और ना ही कोई कंपनी मुझे सहायता दे रही है। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि खेल मंत्रालय मझे टॉप्स में जगह देगा जिससे कि मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रख सकूं।’’ 

अंतरराष्ट्रीय सत्र अब खत्म हो चुका है और मनजीत ने कहा कि अगला साल उनके लिए अहम होगा क्योंकि एशियाई चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप का आयोजन होना है। मनजीत ने कहा,‘‘मैं अगले साल एशिया और विश्व चैंपियनशिप दोनों में अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं। इसके बाद 2020 ओलंपिक होने हैं लेकिन इसकी ट्रेनिंग के लिए मुझे वित्तीय सहायता चाहिए। उम्मीद करता हूं कि खेल मंत्रालय मेरी मदद करेगा।’’ 

हरियाणा के जींद जिले के उझाना गांव के रहने वाले 29 साल के मनजीत ने कहा कि दो साल पहले जब ओएनजीसी ने उनका अनुबंध बढ़ाने से इनकार कर दिया था तो वह खेल छोड़ने की कगार पर थे। 

उन्होंने कहा,‘‘मैं काफी मायूस था और मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मैं किसान परिवार से हूं और मेरा परिवार मेरी ट्रेनिंग के लिए बड़ी राशि नहीं दे सकता। लेकिन किसी तरह अपने कोच अमरीश कुमार की मदद से मैंने ट्रेनिंग जारी रखी।’’ 

मनजीत ने कहा,‘‘कुछ समय के लिए मैंने सोचा कि मैं एथलेटिक्स छोड़ दूंगा लेकिन मेरे पिता (राज्य स्तर के पूर्व गोला फेंक खिलाड़ी) ने कहा कि मुझे जारी रखना चाहिए और मैंने अपने परिवार की मामूली आय के साथ इसे जारी रखा।’’ 

एशियाई खेलों से पूर्व अपना पिछला स्वर्ण पदक मनजीत ने 2013 में जीता था और उन्होंने स्वीकार किया की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में वह अधिकतर दूसरे स्थान पर रहे।