पालेमबांग। भारतीय नौकाचालक दत्तू बब्बन भोकानल एशियाई खेलों की सिंगल्स स्कल्स में स्वर्ण पदक जीतने के प्रबल दावेदार हैं और वह अपनी माता के निधन के बाद मुश्किल दौर से गुजरने के पश्चात अपना सर्वश्रेष्ठ करने को तैयार हैं।
मजबूत नौकायान दल से खेलों के दौरान भारतीय पदकों की संख्या में इजाफा करने की उम्मीद है। भारतीय नौकायान के तकनीकी निदेशक निकोलई गियोगा को सात स्पर्धाओं में पदक की उम्मीद है जिसमें सिंगल्स स्क्ल्स भी शामिल हैं जिसमें भोकानल स्वर्ण पदक जीतने का प्रयास करेंगे।
उनका औसत समय सात मिनट के करीब है और दो हफ्ते पहले पुणे में ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने रियो ओलंपिक का 6:54.96 मिनट का समय भी निकाला था। चार साल पहले इंचियोन एशियाई खेलों में ईरान के मोहसने शादी ने 7:05.66 मिनट के समय से स्वर्ण पदक जीता था।
सेना के नौकाचालक भोकानल ने कहा, ‘‘मैं जो समय निकाल रहा हूं, उसे देखते हुए पदक जरूर आना चाहिए लेकिन नौकायान में सबकुछ हवा के बहाव पर तय होती है। पुणे में ठीक था लेकिन यहां पर आप कुछ नहीं कह सकते कि हवा कैसी होगी। हवा रूक जाती है और फिर अचानक तेज हो जाती है। इसलिये यह बताना कठिन होगा कि कितना समय पदक के लिये सही होगा। ’’
वह स्वर्ण सिंह और दो अन्य के साथ क्वाड्रपल स्कल्स में भी स्वर्ण पदक की दौड़ में हैं। स्वर्ण ने इंचियोन में सिंगल स्कल्स में कांस्य पदक जीता था।
भारत का 34 नौकाचालकों का बड़ा दल यहां आया है जो सभी सेना से हैं।