कोच रोलेंट ओल्टमेंस की रवानगी के बाद हाकी के पूर्व दिग्गजों ने की भारतीय कोच की मांग
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाकी टीम के लगातार औसत प्रदर्शन को देखते हुए कोच रोलेंट ओल्टमेंस को हटाये जाने के बाद पूर्व खिलाड़ियों ने कहा कि बेहतर करने और अतीत के गौरव को दोबारा प्राप्त करने के लिए प्रशासकों को भारतीय कोच नियुक्त करना चाहिए
जालंधर: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाकी टीम के लगातार औसत प्रदर्शन को देखते हुए कोच रोलेंट ओल्टमेंस को हटाये जाने के बाद पूर्व खिलाड़ियों ने कहा कि बेहतर करने और अतीत के गौरव को दोबारा प्राप्त करने के लिए प्रशासकों को भारतीय कोच नियुक्त करना चाहिए ताकि खिलाड़ियों और कोच के बीच किसी प्रकार की संवादहीनता की स्थिति पैदा नहीं हो।
ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता सुरिंदर सिंह सोढी ने भाषा से बातचीत में कहा, हाकी इंडिया को इस विदेशी कोच को बहुत पहले हटा देना चाहिए था। ओल्टमेंस को हटाने में काफी देर हो गयी। हालांकि, अब उन्हें टीम के अच्छे प्रदर्शन के लिए खास तौर से विकप को ध्यान में रखते हुए देश के किसी खिलाड़ी को टीम का कोच नियुक्त करने पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।
हाकी टीम के पूर्व कोच राजिंदर सिंह ने भी विदेशी की बजाए देसी कोच नियुक्त किये जाने की वकालत की। उन्होंने कहा, विदेशी कोच भारत के खिलाड़ियों के हिसाब से उपयुक्त नहीं हैं। और अब यह जरूरी है वि स्तर पर हाकी के खोये गौरव को प्राप्त करने के लिए हाकी इंडिया देश के किसी खिलाड़ी को कोच नियुक्त करे। सोढी और सिंह ने एक सुर में सवाल उठाया, क्या हाकी इंडिया को आठ बार के ओलंपिक चैंपियन भारत में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं दिखता जिसे टीम का कोच बनाकर महंगे विदेशी कोच का आयात बंद किया जा सके।
पेनल्टी कार्नर विशेषग्य रहे सोढी ने कहा, ओल्टमेंस छठा विदेशी कोच है जिसे समय से पहले हटा दिया गया। तो हाकी इंडिया के प्रशासक यह क्यों नहीं समझा पा रहे हैं कि विदेशी कोच से हाकी टीम का प्रदर्शन ठीक नहीं हो रहा है और जैसा प्रदर्शन हो रहा है वैसा तो भारतीय टीम बिना कोच के भी कर सकती है ।
द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त सिंह ने कहा, मैं शुरू से विदेशी कोच का विरोध करता रहा हूं। आज भी विरोध करता हूं। यह हाकी इंडिया ही नहीं, खिलाड़ियों और सभी हाकी प्रेमियों को पता है कि विदेशी कोच से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। अगर हासिल हुआ होता तो छह-छह विदेशी कोच की नियुक्ति के बाद उन्हें समय से पहले बर्खास्त नहीं किया जाता।
दोनों पूर्व खिलाड़ियों ने कहा, भारत की संस्कृति विदेशियों से मेल नहीं खाती है। उनकी भाषायें भी अलग हैं। कई खिलाड़ियों को अग्रेंजी समझाने में कुछ कठिनाई भी आती है। ऐसे में कोच और खिलाड़ियों में संवादहीनता की स्थिति आ जाती है और दोनों एक दूसरे की बात को समझा ही नहीं पाते हैं।
हाकी के दोनों पूर्व दिग्गजों ने कहा कि वह हाकी इंडिया के प्रशासकों से अपील करते हैं कि विकप को ध्यान में रखते हुए इस बार किसी भारतीय को कोच पद पर नियुक्त करें और उन्हें भी वही सुविधा प्रदान करें जो विदेशी कोच को दी जाती है जिससे निश्चित तौर पर टीम के प्रदर्शन की दशा में सुधार देखने को मिलेगा।
सोढी ने यह भी कहा कि अगर हाकी इंडिया को लगता है कि विदेशी कोच ही प्रदर्शन सुधार सकता है तो आठ दस अच्छे भारतीय कोचों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण के लिए विदेश भेज दिया जाए ताकि वे वापस आ कर खिलाडियों को अपनी भाषा में कोचिंग दे सकें।
उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां कोच और खिलाड़ियों को एक दूसरे की बात समझाने में कोई कठिनाई नहीं होगी, वहीं दूसरी ओर हाकी इंडिया के लाखों रुपये के संसाधान की भी बचत हेागी जिसे खिलाडियों के प्रशिक्षण पर खर्च किया जा सकेगा।