अपने माता-पिता को ढूंढने भारत आएंगी डेनमार्क की ये ओलंपिक खिलाड़ी
‘‘ यह सही है कि मैं कभी भारत नहीं आयी लेकिन मैं भारत से मजबूत संबंध महसूस करती हूं।''
नई दिल्ली: मुंबई में जन्मी डेनमार्क की स्केटर एनिस दास इस साल शीतकालीन ओलंपिक में भाग लेने के बाद अपने जैविक माता-पिता को ढूंढ़ने भारत आयेंगी। शीतकालीन ओलंपिक के लिये नीदरलैंड में हुई 500 मीटर स्पर्धा के क्वालीफायर में वह शीर्ष पर रही थी।
ओलंपिक में डेनमार्क का प्रतिनिधित्व करने वाली एनिस अब 32 साल की हैं और डेनमार्क के दंपति ने जब एनिस और उनकी जुड़वा बहन को गोद लिया था तब दोनों आठ महीने की थी और जब वे पांच साल की हुई तब उन्हें मुंबई से उनके जुड़ाव के बारे में पता चला।
एनिस ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है पांच या छह साल की उम्र में मेरे माता-पिता ने इस बारे में हमें बताया, यह बहुत नैसर्गिक था। हमने डेनमार्क के टेलीविजन कार्यक्रम के जरिये अपनी जैविक मां को खोजने की कोशिश की लेकिन दुर्भाग्य से हमें सफलता नहीं मिली। इस ओलंपिक सत्र के बाद हम भारत और जाहिर सी बात हैं जन्म लेने वाले शहर मुंबई के दौरे की योजना बना रहे हैं।’’
उनसे पूछा गया कि अगर भारत से इतना लगाव है तो इतने वर्षों में वे कभी भारत क्यों नहीं आयी और अब भारत आने का फैसला कैसे किया ?
एनिस ने कहा, ‘‘ यह सही है कि मैं कभी भारत नहीं आयी लेकिन मैं भारत से मजबूत संबंध महसूस करती हूं। हमारी जड़े वहां हैं और मुंबई में अभी भी हमारा परिवार है (जो हम ढूढ़ने की कोशिश करेंगे)। उन्होंने कहा कि कभी ऐसा नहीं लगा कि डेनमार्क के माता-पिता ने उन्हें गोद लिया है।
एनिस दिखने में बिलकुल भारतीय लगती है और उनका उपनाम ‘दास’ भी बंगाली समुदाय में काफी आम है। ‘दास’ डेनमार्क में काफी सामान्य उपनाम है। उन्होंने कहा, ‘‘ उनके नाम से ‘दास’ इसलिये जुड़ा है क्योंकि उन्हें गोद लेने वाले पिता का उपनाम दास है। मेरे पिता का नाम कारेल हर्मन दास है और मेरी मां का नाम रिया डोमबर्ग (अब रिया दास डोमबर्ग)।’’